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________________ ૨૩૨ समरसिंह सप्तमी भाषा संघ चउरा दीन्हा तर्हि नयर परिसरे । अलजउ अंगिन माए दीठउ विमलगिरे । पूजिउ परवतराउ पणमिउ बहुभत्तिहिं । देसलु देयए दाणे मागणजणपंतिहिं ॥ १ ॥ अजियजिदिजुहारो मनरंगि करेवि । पणमइ सेजसिहरो सामिउ सुमरेवि ॥ २ ॥ पालीताणा नगरे संघ भयलि प्रवेसु । ललितसरोवरतीरे किउ संघनिवेसु । कजसहाय लहुभाय लहु श्रावियउ मिलेवि ॥ ३ ॥ सहजउ साहणु तीहि त्रिन्हह गंगप्रवाह | पासु अन जिय वीरो बंदिउ सरतीरिहिं । पंषि करइ जलकेलि सरु भरिउ बहुनीरिहिं ॥ ४ ॥ सेजसिहरि चढेविसंघु सामि ऊमाहिउ । सुललितजिगुणगीते जगदेहु रोमंचिउ । सीयलो वायर वा भवदाहु योन्हावए । माडीय नमिय मरुदेवि संतिभुवणि संधु जाए ॥ ५ ॥ जियबिंब पूजेवी कबडिजक्खु जुहारए । अणुपमसरतडि होई पहुता सीहदुवारे । तोरणताल वरसंवे घणदाणि संघपते । मेटिज आदिजगनाहो मंडिउ पत्रीठमहूङवो ॥ ६ ॥
SR No.023288
Book TitleSamar Sinh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherJain Aetihasik Gyanbhandar
Publication Year1931
Total Pages294
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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