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________________ २४४ समरसिंह । ( २८ ) ॐ || सं० १३८६ वर्षे ज्येष्ठ व० ९ सोमे श्रीऊएसगच्छे बप्पनामगोत्रे गोल्हा भार्या गुणादे पुत्र मोखटेन मातृपित्रोः श्रेयसे सुमतिनाथ बिंबं कारितं प्र० श्रीककुदाचार्य सं० श्रीकक्कसूरिभिः ॥ जैसलमेर - चंद्रप्रभ० ( २९ ) सं० ० १३८७ वर्षे माघ शुदि १० शनौ श्रीउपकेशगच्छे खुरियागोत्रे सा० धीरात्मज सा० झांझण भार्या जयतलदेसुत छाडा आसाभ्यां मातृपित्रोः श्रे० श्री अजितनाथ बिंबं का ० प्र० श्रीककुदाचार्य संताने प्रभुश्री ककसूरिभिः ॥ वड़ोदरा - जानिशेरी चन्द्रप्रभ - जिना ० ( ३० ) सं० १३८८ वर्षे माघ शुदि ६ सोमे ऊकेशगच्छे आदिनामगोत्रे शा खीरदेवात्मज शा भडुंक भा० मुखाहि पुत्र ऋदपाल लक्ष्मणाभ्याम् भ्रातृ धनसिंह देउसिंह पासचंद्र पुनसी सहिताभ्य कटुम्ब श्रे० शांतिनाथ बिंबं का० प्र० ककुदाचार्य संताने श्रीककसूरिभिः || पेथापुर. (३१) सं० ० १३०१ श्रीऊकेशगच्छे श्रीककुदाचार्य संताने सोमदेव भार्या लोहिया आत्मार्थ श्री सुमति बिंबं कारितं प्र० श्रकिकसूरिभि || जैसलमेर - चन्द्रप्रभ० ● -
SR No.023288
Book TitleSamar Sinh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherJain Aetihasik Gyanbhandar
Publication Year1931
Total Pages294
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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