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________________ समरसिंह ९ ,,, ,, नं. ४) यशोदेवोपाध्याय | ११६५ | ,, ,, ,, नं. ५ देवेन्द्रोपाध्याय । ११८२ | आराधना पताका वीरभद्रो पा० । पिण्डविशुद्धि देवगुप्तसूरि बघु० वृत्ति (यशोदेवोपा०)। पक्षीसूत्रवृति " प्रमाणांतस्तव , अपौरुषेय देव. , निराकरण प्रत्यक्षानुमानप्रमाण पंचासक चूर्णि ७२ | पाटण भं० " " षोडषकवृति षोडशीतिवृति क्षेत्रसमास वृ० पा० भं. बौद्ध मीमांसा धर्मोपदेशमाला , चन्द्रप्रभ चरित्र जै० म० नवतत्व गाथा देवगुप्त सूरि (जिन पाश्र्धाभ्युदय काव्य सिद्धसूरि [चंद्र) बीकानेर मं. २६ सम्यक्त्व रहस्यस्तव पाटण भं. श्रावक समाचारी देवगुप्तसूरि पाटण मं. द्रव्यतरंगिणी ककसूरि बी० मं० , लघुवृति श्रावक स० वृति | देवगुप्तसूरि | योग प्रकाश . यक्षमहतर २४
SR No.023288
Book TitleSamar Sinh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherJain Aetihasik Gyanbhandar
Publication Year1931
Total Pages294
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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