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________________ [अवशिष्ट संख्या २] श्रीउपकेशगच्छाचार्योद्वारा स्थापित किया हुआ “ महाजन संघ" योतो उपकेशगच्छ के आचार्योंने अपने जीवन के अधिकाँश भाग अजैनों को जैन बनाने में ही लगाया जिससे जैन संसार की असीम अभिवृद्धि हुई । जैसे आचार्य श्री हरिदत्तसूरिने स्वस्तिक नाम्नी नगरी में लोहित्याचार्य को जैन दीक्षा दे उन्ह महाराष्ट्र प्रान्त में भेजकर हिंसावादियों को पराजित कर जैन धर्म की पताका फहरा सहस्रों जैन मन्दिरों की प्रतिष्टा करवाई। इतिहास का अध्ययन करने से मालूम होता है कि दुष्काल के समय प्राचार्य श्री भद्रबाहुस्वामी अपने १२००० शिष्यों सहित महा. राष्ट्र प्रान्त में जिन मन्दिरों की यात्रार्थ पधारे थे । प्राचार्य श्री केशीश्रमणने प्रदेशी जैसे परम नास्तिक नृपति को अपने सदोपदेश द्वारा जैनी बनाकर जैनेतरों पर अपनी विशेष धाक जमाई और जनता का असीम उपकार किया । आचार्यश्री स्वयंप्रभसूरिने श्री मालनगर, पद्मावती और चन्द्रावती तथा कोरंटपुर के लाखों मजैनों को जैनी बनाया । आचार्य श्रीरत्नप्रभसूरिने उपकेशपुर नगर में पधारकर लाखों मनुष्यों को वासक्षेप के विधिविधान से जैनी बनाकर उस समुदाय का नाम 'महाजन संघ' रक्खा। इसके
SR No.023288
Book TitleSamar Sinh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherJain Aetihasik Gyanbhandar
Publication Year1931
Total Pages294
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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