SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 158
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ उपकेशगच्छ - परिचय | १२३ जम्बूनाग महत्तर — जिन्होंने लोद्रवपुर में ब्राह्मणों | को पराजित कर भाटी नरेश को जैन धर्म का अनुयायी बना के वहाँ नये मन्दिरों की प्रतिष्टा की । देवभद्र महत्तर 1 कनकप्रभ महत्तर 1 जिनभद्र महत्तर I पद्मप्रभवाचनाचार्य – आपका पवित्र चरित्र बड़ा ही अलौकिक है। I ककसूरि —– जिन्होंने डीडवाना के भैशाशाह को सहायता दी । | देवगुप्तसूरि- जिन्होंने मैंशाशाह की माता के संघ में श्री शत्रुंजय की यात्रा की । | कसूरि- जिन्होंने बारह वर्ष घोर तपश्चर्या कर अनेक लब्धियें प्राप्त कीं । आप राजगुरु के नाम से प्रख्यात थे । | पाटण के चौरासी उपाश्रय में आप नायक थे आचार्य हेमचन्द्रसूरि तथा कुमारपाल नरेश आप का बड़ा सन्मान और सत्कार करते थे । आपका
SR No.023288
Book TitleSamar Sinh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherJain Aetihasik Gyanbhandar
Publication Year1931
Total Pages294
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy