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________________ सिरि भूवलय भूवलय ग्रंथ के १४ अध्यायों को हिन्दी में अनुवादित कर अनेक गणमान्य व्यक्तियों के सम्मुख विमोचित किया गया। इसी समय कर्नाटक के मुख्य मंत्री श्री निज लिंगप्पा, राष्ट्राध्यक्ष डॉ. बाबू राजेन्द्र प्रसाद जी, श्री जुगल किशोर बिडला जी, को और दिल्ली के अन्य गणमान्य व्यक्तियों को इस ग्रंथ के दिखाने पर उन सभी के आश्वर्य और प्रशंसा का पात्र यह ग्रंथ बना। राष्ट्राध्यक्ष के आदेशानुसार राष्ट्रीय प्राच्य वस्तु संग्रहालय ने १२७० चक्रों का माइक्रो फिल्म बनवाया। एक नेगेटिव फिल्म को संरक्षित कर पॉज़िटिव फिल्म को गणमान्य व्यक्तियों को दिया गया। राष्ट्रपति के आदेशानुसार श्री पंडित यल्लप्पा जी ने सभी १२७० चक्रों को भारत सरकार को सौंपने का बीडा उठाया। बंगलोर में चक्रों का कार्य और दिल्ली में सिरि भूवलय के हिन्दी रूप के मुद्रण के कार्य के कारण बंगलोर दिल्ली के बीच आवागमन के फलस्वरूप आपका स्वास्थ्य गिरने लगा। १९५७ सितंबर माह के पहले सप्ताह के अंत में गिरते हुए स्वास्थ्य की परवाह न करते हुए आपने दिल्ली के लिए प्रस्थान किया और दिल्ली में ही आपका देहांत हो गया। आपने सिरि भूवलय के कार्य के लिए ही अनवरत श्रम किया। इस कार्य के बीच ही आपने अंतिम सांस ली। कर्लमंगलं श्री कंठैय्या सिरि भूवलय श्री कंठैय्या नाम से ही परिचित कर्लमंगलं श्री कंठैय्या जी अपने विद्वत से संशोधन के क्षेत्र में विख्यात हुए। आप बहु भाषा पंडित पत्रिका के संपादक देश के अनेक विद्वानों को अपने आकर्षण से सहज खींचने वाले धीमंत व्यक्तित्व के स्वामी थे। बडगनाडु के ब्राह्मण कुटुंब मे जन्में पिता सुब्बैय्या और माता भ्रमराम्बा के चतुर्थ पुत्र थे। किसान परिवार, पिता स्वयं एक विद्वान हरिकथा पटु सज्जन और सदाचार संपंन थे। सभी पैतृक गुण श्रीकंठैय्या जी में रक्तगत रूप से शामिल थे। आप बाल्यकाल में ही कठिनतम शास्त्र विषय को भी प्रथम पठ्य मे ही पचा लेने का सामर्थ्य रहते थे।अल्पावधि में ही आप ने अपने पिता के ग्रंथ भंडार के ज्ञान को पचा कर मागडी विद्वानों से ग्रंथों को प्राप्त कर निरंतर 51
SR No.023254
Book TitleSiri Bhuvalay Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSwarna Jyoti
PublisherPustak Shakti Prakashan
Publication Year2007
Total Pages504
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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