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________________ (सिरि भूवलय कादियिं वर्णमालांक । कादियं नवमांक बंध टादियं नवमांक दंग पादियिं नवमांक भंग याद्यष्व रळकुळभंग । साद्यंत अं अः On क पद । मोददिप्पत्तेळु स्वरद। ओदिन अरवलाल्कांक (अ१०-१८-२५) संस्कृत वर्णमाला में ६३ अथवा ६४ अक्षर है ऐसा सामन्यतः कहा गया है शिक्षा और प्रातिशाख्य ग्रंथों में अलग-अलग संख्याओं को कहा गया है। कात्यायन के शुक्लयजुःप्रातिशाख्य में ६५, तैत्तिरी के प्रतिशाख्य में त्रिभाषारत्न के अभिप्रायनुसार ६०, गार्ग्य गोपाल यज्वन मतानुसार ५९, माहिषे के भाष्य का अनुसरणकर ५३. शुभशिक्ष में (रहस्य) में ६३ अथवा ६४, कालनिर्णय शिक्षे में ७३, आरण्यशिक्षे में ६५, लक्ष्मीकांत शिक्षे में १०८ ऐसे अक्षर संख्या का निर्धारण हुआ है । (सुकलयजस प्रतिसख्य ऑफ़ कात्यायन मद्रास ओ आर.एस आर १९३९) वीरसेनाचार्य ने धवळ ग्रंथ में २७ स्वर, ३३ व्यंजन, शेष (क्ष इत्यादि) कहा है (चौसट्ठिमूळवण्णाह)। अक्षरों का विन्यास और समुच्चय अर्थात भंग। भंगों में स्थान भंग और क्रम भंग दो प्रकार हैं । १.२.३.४४ .... अ इतनी राशी । आगम विस्तार को कहते हुए वीर सेन ६४ अक्षरों से (एक-एक, दो-दो, तीन-तीन, इत्यादि) २६४१ पदों की राशी बनेंगी कहते हैं । भटकलंक कर्नाटके मूलवर्णाः चतुष्ट ष्टिरित्यविवादम ऐसे २५ स्वर, ४ योगवाह, २५ वर्गीय व्यंजन, १० अवर्गीय व्यंजनों को कहा है। भट्टाकलंक के मतानुसार ऐ औ के लिए ह्रस्व न होने के कारण २७ स्वर नहीं हैं । कात्यायन के प्रातिश्य में २३ स्वर ( १३ मूल स्वर, ८ संध्यक्षर), ३३ योगवाह, ९ अयोगवाह, (जिह्वामूलीय nक उपध्मानीय "प अनुस्वार (म्), विसर्जनीय(:), नासिक्य (हुम्), कुम्, खुम्, गुम्, आदि ४ यम कुल ६५ अक्षर । कुमुदेन्दु ने जैन और प्राकृत, कन्नड, भाषाओं के संप्रदयानुसार ऐ, औ के ह्रस्व को अंगीकार किया है। केशीराज के मतानुसार ५७ अक्षर, कन्नड के लिए ४७, शब्दस्मृति में १४ स्वर (अ-औ) सभी के लिए ह्रस्वदीर्घपुल्त ऐसे तीन-तीन रूप, २५ वर्गीय वयंजन शेष अवर्गीय हैं कहा है। भाषाभूषण में १४ स्वर, ३३ व्यंजन, कुल ४७ हैं कन्नड में मात्र ३६ हैं ऐसा नागवर्मन ने कहा है। तमिल में अर्धमात्रा कालद कुट्रियल (म और य के बीच केण्मिया, सेन्मेया) तथा कुट्रियल उगरम् (प्राचीन हल् संबंधित) ऐसे दो ध्वनियाँ थीं। वैदिक साहित्य में भी ह्रस्व ए ओ थे ऐसी सूचना 454
SR No.023254
Book TitleSiri Bhuvalay Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSwarna Jyoti
PublisherPustak Shakti Prakashan
Publication Year2007
Total Pages504
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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