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________________ सिरि भूवलय) ४ चक्र श्लोक अक्षर संख्या १२५ १४३४६ १५५ १४४०९ १० १७४ १७८५६ १० १८५ १८२१६ ११ २०१ २००२५ १२ २०६ २०७३६ २१३ २११५० १२ २५६ २५७०४ ८ अध्यायों ८५ १५१५ । १५२४४२ ३३ अध्यायों ४६८ ९६२५ ९६०३३६ १२७० १४००००० ५६ अध्यायों ६००००० संकेत चिन्ह आगे के पृष्ठों में पहले आठ अध्यायों के चक्र, और श्लोकों को दिया गया है। पहले अध्याय को चक्र बंध में खोलने पर प्रकट हुए श्लोकों को दिया गया है । दूसरे अध्याय से आठवें अध्याय तक नवमांक बंध में खोलने पर प्रकट हुए श्लोकों को दिया गया है । इन अध्यायों में प्रत्येक चक्र के उप चक्रों को नीचे दिये गए अनुक्रम के अनुसार पढना है। २.३ ४ ५ ३.२ ३ ४ ४.९ २ ३ .. ५.८ ९ २ ६.७ ८ ९ ७.६ ७ ८ ८.५ ६ ७ २ १६ ९१ ५ ८१ ४ ७ १ ३ ६ १ २ ५ १ ९ ४ १८ ९ ८ ७ ८ ७ ६ ७ ६ ५ ६ ५ ४ ५ ४ ३ ४ ३ २ ३ २ ९ कन्नड वर्ण माला के ह्रस्व “ए” और ह्रस्व "ओ" अक्षरों को संस्कृत वर्णमाला के क्रमानुसार दीर्घ “ऐ” और दीर्घ “आ” अक्षर के रूप में पढा गया है। १९५३ के परिष्करण में और २००३ के परिष्करण में जहाँ-तहाँ पठ्य को पढने की रीति में अंतर है। बेरळच्चु (टाइप) किये गए पठ्य को आधार मानने के कारण यह अंतर आया होगा। उन जगहों पर मूल प्रति के चक्रों को परीशीलन कर एक हद तक सुधारा गया है। ग्रंथ का पाठ करने वाले ग्रंथ पढने के क्रमानुसार ठीक पठ्य को पहचाने, ऐसा सूचित किया जाता है। परिकल्पना : पुस्तक शक्ति 159
SR No.023254
Book TitleSiri Bhuvalay Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSwarna Jyoti
PublisherPustak Shakti Prakashan
Publication Year2007
Total Pages504
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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