SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 160
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ - सिरि भूवलय - ६४ ध्वनियाँ स्वर -अ, इ, उ, ऋ, ळ, ए, ऐ, ओ, औ, इस प्रकार ह्रस्व रूप। इसी प्रकार दीर्घ और प्लुत नाम के तीन रूप के साथ २७ स्वर जैसे १-अ, २-आ, ३-आ (आ अर्थात आ में ही आ की मात्रा) इसी प्रकार ४-इ, ५-ई, ६-ही, क्रमशः (ड़ी अर्थात ई में ही ई की मात्रा) ७,८,९,- उ ऊ कू, (कू अर्थात ऊ में ऊ की मात्रा) १०,११,१२,- ऋ, ऋ, ऋा, १३,१४,१५- ळ, लू ळू,• १६,१७,१८ - ए, ए, एा, (ए। तथा एा अर्थात ए में ही क्रमशः १ बार ए की मात्रा तथा २ बार ए की मात्रा) १९,२०,२१- ऐ ऐ, गो, (ऐ तथा ऐा, अर्थात ऐ ही में क्रमशः १ बार ऐ की मात्रा तथा २ बार ऐ की मात्रा) २२,२३,२४,- ओ ओ, ओ, (ो तथा ओौ अर्थात क्रमशः ओ ही में १ बार ओ की मात्रा तथा २ बार ओ की मात्रा) २५,२६,२७-औ, औ, औौ (ौ तथा में १ बार औ की मात्रा तथा २ बार औौ अर्थात क्रमशः औ ही औ की मात्रा) विशेष – यह अक्षर संस्कृत, प्राकृत तथा हिन्दी में प्रचलन में नहीं है परन्तु कन्नड और मराठी भाषा में आज भी प्रचलन में है इसका उच्चारण स्थान जिह्वा से तालू का स्पर्श है ।
SR No.023254
Book TitleSiri Bhuvalay Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSwarna Jyoti
PublisherPustak Shakti Prakashan
Publication Year2007
Total Pages504
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy