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________________ सिरि भूवलय अंकों की रक्षा, अनार के फलों के रस को मिला कर बनाने वाला दिव्य रोग नाशक, मार्ग के पुष्प, मन्मथ की हथेली में रहने वाला केवडा का रस, पुष्प का दिव्य योग, साराग्नि पुट दिव्य योग, आदि विचारों को कुतूहलकारी सेरद मनसन्नु पाद रसदल्ली कट्टी (मन को पारे में बाँध कर ) सौ सजार पुष्पों के रस को मिलाने से भूवलय सिध्द होता है। इस भूवलय में ७१८ सरस भाषाएँ जन्म लेती है। पंचम “ई” अध्याय पंचपरमेष्ठि में कहे गए समस्त ज्ञान को जौ के दाने के बराबर क्षेत्र में समाहित कर उसमें नवमांकों की मिठास सी इस भूवलय की रचना है। यहाँ अनेक “नवमों” का उल्लेख है उदाहरण स्वरूपः पावनपरिशुध्दनवम, साविरलक्षांक नवम, पावन सूच्यग्र, दावानल कर्मा नवम, विद्या साधन नवम, ऋवागमवर्ष नवम आदि । इसी तरह अनेक अंकों को भी नाम दिया गया है जैसे नवपद निर्मलांक, केवल लब्धी अंक, मूरूमूर्लोम्बत्तंक, शुध्द कर्माटकदंक, प्राकृत लिपि अंक, रसद संस्कृत द्रव्य अम्क, द्राविड, आन्ध्रा, महाराष्ट्र, मळेयाळ, दंक आदि इन अंकों को देशवारू ( देशों के नाम ) सूची में भी दिया गया है। रिसिय गुर्जर देश, रस सिध्दि अंग यशद कलिंग, रसद काश्मीर, ऋषिय काम्भोज, पसनद हम्मीर, यश शौर सेनी, तेबती, वेंगीपळु, वंग देश, वैदर्भ, वैशाली, सौराष्ट्र, लाट, गवुड, मगध, विहार, उत्त्कल, कन्याकुब्ज, वराह, वैश्रवण, बनबासी आदि। ब्राह्मी, खरोष्ठि, निरोष्ठ, अपभ्रंश, पैशाची, अर्ध, मागधी, आदि भाषा लिपियों के भी यहाँ नाम है । १८ लिपि के अलग न किये जाने वाले नौ अंक कहने के पश्चात कुछ और लिपियों के नाम लिए गए हैं जैसे हंस लिपि, भूत लिपि, मीरूक्षिय, लिपि (?) राक्षसी लिपि, उहिया लिपि,(?)यवनानिय लिपि, तुर्की लिपि द्रमिल लिपि, सैन्धव लिपि, मालव लिपि, किरिय लिपि, देवनागरी लिपि, लाड लिपि, पारशी लिपि, आमित्रक लिपि, इत्यादि। इस संदर्भ में उल्लेखित पुट्ट, भाषाओं (लघु भाषाओं) की ७०० अंक, बोलचाल के ठोस लिपियों के न होने वाले अंक, जन्मित अक्षर भाषा को समझने वाला, न जन्मित लिपि अंक इत्यादि कथनों के अर्थ हमारी समझ के बाहर है। इस भूवलय का सवभाषामयी कथन अपूर्व होने पर भी उसकी व्याख्या के लिए संपूर्ण काव्य को पढना आवश्यक है। 150
SR No.023254
Book TitleSiri Bhuvalay Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSwarna Jyoti
PublisherPustak Shakti Prakashan
Publication Year2007
Total Pages504
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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