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________________ - सिरि भूवला) सामने अनौपचारिक प्रस्ताव रखा । यह एक अस्पष्ट रूप ही था । तत्पश्चात दिनांक २३-०६-२००० को इसे एक अधिकृत रूप मिला। ___ हमारी योजना को स्पष्ट साहित्यिक आकार प्रदान करने के लिए देश के विख्यात विद्वान मणि प्रो. जी वेंकट सब्बैय्या, प्रो. एल. एस. शेषगिरी राव, डॉ. साशी मरूळय्या, लोकसभा के पूर्व उप सभाध्यक्ष प्रख्यात श्री एस. मल्लिकार्जुन के साथ एक सलाह मंडली स्थापित हुई । सलाह मंडली की पुष्टि हेतु श्री प्रभाकर चेंडूर श्रीमती वंदना राम मोहन , श्री उमेश और श्री एच. एस. अच्युत आदि पुस्तक शक्ति की ओर से इस योजना में शामिल हुए । __ विषय वस्तु के संकलन के लिए, विवरणों की पुष्टि के लिए और सिरिभूवलय से संबंधित अन्य सामाग्रियों के विषय में सिरिभूवलय फाउंडेशन के अन्य पदाधिकारियों को सहयोग देने के लिए श्री एम. वाय. धर्मपाल ने कमर कस लिया । सलाह मंडली ने सर्वानुमति से वरिष्ठ विद्वान व संशोधक श्री टी. वी. वेंकटाचल शास्त्री जी के समक्ष इस उद्ग्रंथ के प्रधान संपादन का भार वहन करने का अनुरोध किया और उनकी सम्मति इस ग्रंथ का सौभाग्य बनी, ऐसा कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा। पाठ्य सामाग्री के साथ संपूर्ण ग्रंथ की रूप रेखा को निर्धारित कर एक मूल्यवान प्रस्तावना लिखी गई । अनेक बार छपाई की प्रफ़ को पढ कर संशोधित करने का श्रम उठाया। इसके पूरक में कन्नड प्राध्यापक और उत्साही आलोचक डॉ. के. आर. गणेश (कर्ल मंगलम श्रीकंठैय्या के वंशज) ने इस ग्रंथ संग्रह का सारांश तैयार करने में गणनीय भूमिका निभाई। दो वर्षों तक सतत पुस्तक शक्ति के साथ उपरोक्त महानुभावों से समयसमय पर सूक्त सलाह सहयोग के द्वारा सिरीभूवलय का एक स्पश्ट रूप गोचर होने लगा। साथ ही ग्रंथ में निहित जानकारियाँ और भी समग्र रूप से प्राप्त हो इस कारण पुस्तक शक्ति सिरि भूवलय के विषय में पत्र-पत्रिकाओं में विज्ञापन भी देने लगी परन्तु निरीक्षित रूप से प्रतिकिया प्राप्त न होना एक दु:खद स्थिति बन गई । फिर भी पुस्तक शक्ति ने न ही धैर्य छोडा और न ही प्रयत्न । 12
SR No.023254
Book TitleSiri Bhuvalay Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSwarna Jyoti
PublisherPustak Shakti Prakashan
Publication Year2007
Total Pages504
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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