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________________ -सिरि भूवलय कन्नड का कामधेनु-कल्पवृक्ष सर्व भाषामयी सिरि भूवलय ग्रंथ परिचय १. सर्व भाषामयी सिरि भूवलय ग्रंथ कर्नाटक राज्य (मैसूर) के कोलार जिले के चिक्क बलापुर तालुक्क के सुप्रसिध्द नंदी ग्राम के समीप स्थित यलवभू (यलवळ्ली) के निवासी श्री कुमुदेन्दु जैन मुनि के द्वारा उनके १५०० शिष्यों के द्वारा लिखवाया अति प्राचीन साहित्य है। २. श्री कुमुदेन्दु मुनि ने गंगरस सैगोट्ट शिवमार को भी, मान्य खेट के राजा अमोघ वर्ष को भी इस काव्य का परिचय दिया था ऐसा इस काव्य में ही कहा गया है। मैसूर जिले के पिरिया पट्टण के शहर देवप्पा नाम के कवि ने इस कुमुदेन्दु आचार्य के अप्रतिम ज्ञान को कुमदेन्दु शतक नाम के ग्रंथ में बहुत ही सुन्दर रूप से वर्णित किया है । ३. यह काव्य प्राचीन अथवा नवीन किसी भी लिपि में लिखा नहीं गया है।केवल कन्नड के अंकों से लिखा गया है। इन चक्रों में १ से लेकर ६४ तक संख्याओं का उपयोग किया गया है। प्रत्येक चक्र में २७*२७= ७२९ खानों संख्या हैं। ऐसे १६००० चक्र बंध हैं कहा गया है। श्री कुमुदेन्दु मुनि के द्वारा लिखवाई गई मूल प्रति उपलब्ध नहीं है। उस महा ग्रंथ को सेन नाम के दंड नायक की पत्नी मल्लिकब्बे ने पुनः प्रति बनावा कर माघनंदाचार्य को शास्त्र दान के रूप में प्रदान किया था थी ऐसा कहा गया है। वही प्रति आज सर्वार्थ सिध्दि संघ के पास सुरक्षित है । ५. सुप्रसिध्द जैन क्षेत्र मूडबिद्रे में जिस प्रकार धवलादि सिध्दांतत्रय महा प्रयत्न से प्रकट हुए उसी प्रकार इस ग्रंथ के चक्रे बंधों के रहस्य को आयुर्वेद के विद्वान पं. यल्लप्पा शास्त्री जी ने अनेक मुनियों के साथ, विद्वानों के साथ, शास्त्र सिध्दांत के द्वारा तपस्या सम कष्ट उठा कर, भरत खंड का भ्रमण कर, जान कर, पहचान कर, संशोधित कर, हमारे लिये इसे उपलब्ध कराया है। - 133 6. 133
SR No.023254
Book TitleSiri Bhuvalay Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSwarna Jyoti
PublisherPustak Shakti Prakashan
Publication Year2007
Total Pages504
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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