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________________ विषयानुक्रम सन्धि एवं कडवक-क्रमानुसार प्रथम सन्धि (पृष्ठ 1-25) सन्धि क्र. 1/1 1/8 1/9 पार्श्व की मंगल-स्तुति कवि बुध श्रीधर यमुना नदी पारकर ढिल्ली (वर्तमान दिल्ली) पट्टन में पहुँचता हैढिल्ली (वर्तमान दिल्ली) पट्टन की समृद्धि का वर्णन तथा वहाँ के राजा त्रिभुवनपति (तोमर) की प्रशंसाराजा अनंगपाल तोमर का मन्त्री अल्हण साह, कवि श्रीधरकृत चन्द्रप्रभचरित-काव्य सुनकर कवि से प्रभावित हो जाता हैअल्हण साहू कवि के लिए नट्टल साहू का पारिवारिक-परिचय देता हैअल्हण साहू द्वारा नट्टल साहू के दान और गुणों की प्रशंसादुर्जनों की निन्दाकर स्वामिमानी कवि बुध श्रीधर जब नट्टल साहू के पास जाना अस्वीकार करता है, तब अल्हण साहू, नट्टल साहू के उदारचरित की पुनः प्रशंसा करता हैअल्हण साहू के अनुरोध से कवि बुध श्रीधर का नट्टल साहू से मिलनसाहू नट्टल दिल्ली के आदिनाथ-मन्दिर निर्माणादि सत्कार्यों का स्मरण दिलाकर कवि श्रीधर से पार्श्वचरित के प्रणयन का अनुरोध करता हैबुध श्रीधर द्वारा ग्रन्थ-प्रणयन की प्रतिज्ञापार्श्वचरित-काव्य-लेखन प्रारम्भः काशी-देश वर्णन काशी-देश की राजधानी.बाणारसी के सम्राट हयसेन का परिचयपट्टरानी वामादेवी का नख-शिख वर्णनइन्द्र के आदेशानुसार यक्ष ने वाणारसी नगरी को इन्द्रपुरी के समान सुन्दर बना दियावाणारसी नगरी के सौन्दर्य एवं समृद्धि का वर्णनस्वर्ग लोक की देवियों के सौन्दर्य और उनकी कला के प्रति अभिरुचि का रोचक वर्णन तथा उनके द्वारा वामादेवी की स्तुतिदेवियों द्वारा वामा-माता की स्तुतिदेवियों द्वारा माता-वामा की विभिन्न सेवाएँरात्रि के अन्तिम प्रहर में माता-वामा द्वारा स्वप्न-दर्शन 1/10 (10) 1/11 1/12 1/13 1/14 (12) (13) (14) 1/15 1/16 (15) (16) 1/17 (17) (18) 1/18 1/19 विषयानुक्रम :: 71
SR No.023248
Book TitlePasnah Chariu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajaram Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2006
Total Pages406
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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