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________________ अपभ्रंश अकादमी जयपुर के निदेशक प्रो. (डॉ.) कमलचन्द जी सोगानी के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करता हूँ, जिन्होंने प्राक्कथन लिखकर प्रस्तुत ग्रन्थ का मूल्यांकन किया । इस ग्रन्थ के शीघ्र प्रकाशन के लिए भारतीय ज्ञानपीठ के प्रबन्ध न्यासी श्रीमान् साहू अखिलेश जैन एवं निदेशक डॉ. प्रभाकर श्रोत्रिय के प्रति सदैव आभारी रहूँगा । इस ग्रन्थ को नयनाभिराम बनाने में आदरणीय डॉ. गुलाबचन्द्र जी ने जो परिश्रम किया, उसके लिए मैं उनका भी सदा ऋणी रहूँगा । प्रस्तावना के लेखन-कार्य में मैंने जिन-जिन सन्दर्भ-ग्रन्थों एवं पत्र-पत्रिकाओं से सहायता ली है, उनके लेखकों एवं सम्पादकों के प्रति भी मैं सादर आभार व्यक्त करता हूँ । प्रस्तुत ग्रन्थ की नई प्रेस कॉपी तैयार करने में श्री सुरेश राजपूत ने कठिन परिश्रम किया है तथा उसकी शब्दानुक्रमणी तैयार करने में प्रो. डॉ. (श्रीमती) विद्यावती जैन ने पूर्ण सहायता की है, अतः उनके प्रति अपना स्नेहादर व्यक्त करता हूँ। परमपूज्य आचार्यश्री का तो अथ से इति तक मंगल आशीर्वाद ही मिलता रहा, जिस कारण श्रान्त होने का अनुभव ही न हो सका। इसके लिये उन्हें मैं बार-बार प्रणाम करता हूँ। ग्रन्थ के सम्पादन-कार्य में मैंने यद्यपि पूर्ण निष्ठा तथा सावधानीपूर्वक कार्य किया है, फिर भी, उसमें अनेक त्रुटियों का रह जाना सम्भव है। अतः उनके लिए मैं अपने कृपालु पाठकों से क्षमा-याचना करता हुआ एक अनुभवी लेखक Don Carlos की निम्न पंक्तियों का सादर स्मरण करता हुआ विराम लेता हूँ महावीर जयन्ती 11 अप्रैल 2006 Nothing would ever be written if a man waited till he could write it so well that no reviewer could find fault with it. बी - 5/40सी, सैक्टर-34, धवलगिरि नोयडा - 201307 उ.प्र. विनयावनत राजाराम जैन प्रस्तावना :: 69
SR No.023248
Book TitlePasnah Chariu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajaram Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2006
Total Pages406
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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