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________________ सविसाण जुअलेण महिवीद् दारंतु हरिणारि विक्कमेण विभविय देविंदु णव-णलिणि-विमलयर-दल-पिहुल-चवलच्छि चवलालि-लालिय सुसेलिंधमालाण तिमिरारि-णिरसंतु संपुण्णु सियभाणु अण्णोणु णीरंति कीलंतु झस-जुम्मु णलिणायरं णलिण पत्तेहिं संछण्ण पंचाणणु छूटु पीढं पहावंतु णायालयं भासुरं रयणसंदोहु धोरेउ चवलुद्ध पुच्छेण सोहंतु।। दिढ-दाढ णिद्दारियाणेय करिविंदु ।। मंजीर-झंकार सुमणोहरा लच्छि।। दंदं महामोय-जुत्तं समालाण।। मुअणयलु भासंतु दिप्पंतु खरभाणु।। पल्लवहिँ पच्छहउ पयभरिउ घडिव जुम्मु ।। रयणायरो फुरिय रयणहि-असावण्णु।। तुंगु पुरंदर विमाणं रमावतु ।। धूमुज्झियं जायवेयं महावोहु।। 10 घत्ता- इय जं जह दिट्ठउ तं तह सिट्ठउ अहिमयरुग्गमि देविए। रइ-सुहकत्तारहो णियभत्तारहो सुरसीमंतिणि सेवियए।। 19।। 2. अपने दोनों सींगों से पृथिवी को विदीर्ण करते हुए चपल एवं पूँछ को उन्नत किए हुए सुन्दर धौरेय (वृषभ) को देखा। 3. अपने पराक्रम से देवेन्द्र को भी विभ्रम में डाल देने वाला, तथा अपनी दृढ़ दाढ़ से अनेक गजवृन्दों को विदीर्ण कर देने वाला सिंह देखा। 4. विमलतर दलों वाली पृथुल नव-नलिनी के समान चपल नेत्रवाली तथा नूपुरों की झंकार से युक्त सुमनोहरा लक्ष्मी को देखा। 5. चपल भ्रमरों से सुशोभित सुन्दर पुष्पों की अत्यन्त सुगन्धित माला-युगल को देखा। 6. अन्धकार जैसे महान् शत्रु को नष्ट करने वाला सम्पूर्ण चन्द्रमा देखा। 7. भुवनतल को भासित करने वाले तेजोद्दीप्त सूर्य को देखा। 8. परस्पर में प्रेरित करने वाले तथा क्रीड़ा करने वाले मीन-युग को देखा। 9. पत्राच्छादित जल से भरे कलश-युगल को देखा। 10. कमल पत्रों से ढंके हुए सरोवर को देखा। 11. स्फुरायमान रत्नों से युक्त अद्भुत विशिष्ट समुद्र को देखा। 12. सिंह द्वारा धारण किया हुआ प्रभावाला आसन (अर्थात् सिंहासन) देखा। 13. शोभा-सम्पन्न उन्नत इन्द्र-विमान देखा। 14. नागकुमार-भवन देखा। 15. देदीप्यमान रत्न-समूह देखा। एवं, अन्त में16. प्रज्वलित निर्धूम अग्नि को देखा। घत्ता- सूर्य के उदित होने पर देवांगनाओं द्वारा सेवित उस रानी वामादेवी ने रात्रि में जिस क्रम में स्वप्न देखे थे, वे सभी उसने उसी क्रम से रति-सुख को देने वाले अपने प्रियतम के लिए कह सुनाए। (19) 22 :: पासणाहचरिउ
SR No.023248
Book TitlePasnah Chariu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajaram Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2006
Total Pages406
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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