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________________ ७३ Chigh กา -11 1200 ९२ तवाधीनानीदारी ||४|| वावरतानाच दिकारी दानसील तपधारी की। ता विलगिती का 25 जिनाकरी। नविनर 5 परनारी ॥ ७॥ शाखंकर सिंघवी सांग बावतीमा हवि श्री रा पधटएप पडी कम करता घावा नाव नानाजी॥ ६॥ श्राशा | श्रीसंघवी सांग ] सूतापाषा कुघल दास ||गायी। प्रागवंशवी साठी स्ताया। राडी माप इंजी ||99/110] [चावी स5 जिन नाम पसायि।: सारदाना चाधारी रापलदास कवी रचना करतो कवी समकीतसारज ॥ ७८| | |रुण इस इवांचवे बाद। तिघरि निराजी क एलकहरासतो। समकीतनी लिय 5जी ७९॥ श्रा ।। 5तिश्री समकीतसारा समाप्तः ॥ २ ॥ ग्रामः बावतीम् छलपीतंसव १६७० वेिश एच दिनमः ॥ श्री ॥ नः श्री शाकल्यः ॥ श्रीरखः ॥ | यहां पुस्तकातली धीतं मया। यदिशुम सुध्वा मम दोषान दीयतेः॥शालग्राम टी कटी ग्रीवा।। चम्पा शाखा काटन लषी शास्त्रायाननपरी पाल ॥२॥ लाश तिलान्शका र १४४ बंधन पर हस्तगतात्। एवंवदतिपुस्तिका ||३|| स्वतांवरे लघु झालायो लिषक कान्हाजीलपीत पाप 3 प्र. १ સમકિતસાર રાસની પ્રતનું અંતિમ पृष्ट.
SR No.023245
Book TitleSamattam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanuben Satra
PublisherAjaramar Jain Seva Sangh
Publication Year2010
Total Pages542
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size17 MB
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