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________________ ६०० जैन संस्कृत महाकाव्यों में भारतीय समाज वेष्टन १७२ चिकित्सा, भूतविद्या, कौमारसमुदीर्ण १७६ भृत्य, अगद तंत्र, रसायन तंत्र, सम्पात १७६ वाजीकरण तंत्र ४४५ प्रायुध निर्माण (व्यवसाय) आयुर्वेदीय शैशुक्रन्द ४४५ २३७ आरण्यक (ग्रन्थ) २५ आयुधविभाग १५४, १६८-१८४, आर्थिक उत्पादन १६०, १६१, १९४, कौटिल्यानुसारी आठ विभाग १९५, २०२, २०६, २१५ १६८, पुराणानुसारी पांच प्राथिक उपभोग १६१-१६४, ३२७ विभाग १६८, वैशम्पायनकृत उपभोग प्रवृति १६२, उपभोग चार विभाग १६८, जैन मूल्य १६३-१६४ उपभोगमहाकाव्यानुसारी छत्तीस प्रकार वस्तुएं ३२७ १६६, दो मुख्य विभाग आर्थिक विचार १६१ आक्रमणात्मक प्रायुध तथा आर्थिक विचारक १६० सुरक्षात्मक प्रायुध १६६, स्वरूपगत विभाग:-खड्ग-सदृश आर्थिक संस्था ८, १८६, १६० आर्यदेश ५११, ५१२ आयुध १७५, गदा-सदृश प्रायुध - सोलह प्रार्य देश ५१२, साढ़े १७८, चक्र-सदृश आयुध १७७, ज्वलनशील प्रायुध १८२, दण्ड पच्चीस आर्य देश ५११ सहश प्रायुध १७४, दुर्गभेदक आर्य संस्कृति २५ प्रायुध १७४, प्रक्षेपणात्मक प्रायिका/साध्वी ३२६, ३६६, ४७० आयुध १७४, बम-सदृश प्रायुध ४७१ १८३, बाण-सदृश प्रायुध प्रायिकानों की धार्मिक शिक्षा ३६६ प्रायिका दीक्षा ३६७ १६८, १७०, १७२ मुद्गर-सदृश आयुध १७८, प्रायिका प्रधान ३६६ मन्त्रमुक्त आयुध १७६, शंकु- प्रायिका संघ ३६६ सदृश आयुध १७६, स्थिरयंत्र प्रावलिका (काल खण्ड) ३५६, आयुध १६८, हलमुख आयुध ३८६ १६८, १७६ प्रावश्यक (छह) ३६३ प्रायुधागार २५२ प्रावास व्यवस्था २४२, २३२, ३१० प्रायुधागारिक (पद) ११०, ११५ ३११ आयुर्वेद के आठ अङ्ग ४४५ :- आवासीय संस्थिति २४२, २४३, शल्यतंत्र, शालाक्य, काय- २५२, २५६, २८२, ३६६
SR No.023198
Book TitleJain Sanskrit Mahakavyo Me Bharatiya Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohan Chand
PublisherEastern Book Linkers
Publication Year1989
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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