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________________ ५०२ प्रश्न का प्रार्थ्यते विश्वजनेन सादरं ? का वा विजेया बत चक्रवर्तिनाम् ? कीदृग् नृपः स्यान्नः पराभवास्पदं ? भात्यम्बरे वन्दनमालिकेन का ? १ उत्तर संकेत जैन संस्कृत महाकाव्यों में भारतीय समाज थोक्त्वा तातताततीरूपां काचित् ततावलीम् । दयितालोकयामास, सम्मेरं वल्लभाननम् ॥ ३ उत्तर संसार में पुरुषों द्वारा प्रिये किमत्र वक्तव्यं प्रसिद्धा सारसावली । ३ यहाँ कन्या द्वारा चार प्रश्न पूछे गए हैं - ( १ ) किसकी याचना की जाती है ? (२) चक्रवर्ती राजानों के लिए जीतने योग्य वस्तु क्या है ? (३) कौन राजा पराभूत नहीं होता ? तथा (४) आकाश में वन्दनमालिका के समान क्या सुशोभित होती है ? संकेत चिह्न के रूप में कन्या द्वारा अव्यक्त रूप से 'ततावली' को 'ताततातती' के रूप में बता दिया गया । इस अस्पष्ट संकेत को समझकर सनत्कुमार ने 'सारसावली' उत्तर दिया जो ठीक था। प्रश्न कर्त्ता के चारों प्रश्नों के उत्तर इसमें प्रा जाते हैं, यथा ( १ ) सा (स्त्री), (२) रसा (पृथ्वी), (३) वली अर्थात् बली ( बलवान ) तथा ( ४ ) सारसावली (सारसों की पंक्ति ) । स्वयंवर विवाह विधि स्वयंवर के लिए विभिन्न देशों के राजानों को दूत भेजकर श्रामन्त्रित किया जाता था | ४ दूत विवाहशास्त्र के प्रकाण्ड पण्डित होने के साथ-साथ राजनैतिक नीतियों के भी विशेषज्ञ होते थे । ५ दूतों को अपने सद् श्रसद् विवेक द्वारा विवाहसम्बन्ध स्वीकार करने या न करने का पूरा अधिकार प्राप्त था । स्वयंवर विवाह विधि के अनुसार कन्या पक्ष के दूत विभिन्न देशों में जाकर योग्य राजकुमारों के पिताओं को स्वयंवर में सम्मिलित होने की सूचना व निमन्त्रण भेजते १. सन०, १६.३० २ . वही, १६.३१ ३. वही, १६.३२ ४. शृङ्गारवत्या दुहितुः स्वयंवरे प्रतापराजेन विदर्भभूभुजा । दूतः कुमारानयनार्थमीरितः समाययौ रत्नपुरप्रभोगॄहम् ॥ - धर्म०, ९.३१ ५. विवाहतन्त्राविकृतान्सले खान्प्रत्येकशो दूतवरान्ससर्ज । ततो नृपेणाप्रतिपौरुषेण वचोहरः सामयुतैर्वचोभि: । ६. वही, २.३६ वरांग०, २.३५ - वही, २.३८
SR No.023198
Book TitleJain Sanskrit Mahakavyo Me Bharatiya Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohan Chand
PublisherEastern Book Linkers
Publication Year1989
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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