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________________ ५34 શ્રી પાર્શ્વનાથ ચરિત્ર ॥ श्री पद्मावती स्तोत्रम् ॥ जयजय जगदानन्ददायिनि ! जय जय धरणेन्द्रवल्लमे । सुभगे दवि कणत्रयधारिणि ! त्वं जय पद्मानने ! पधे ! ॥१॥ विजया जयाऽजिता त्वं अपराजिता शिवा गौरी रम्मा त्वं वैरोटया प्रज्ञप्तिभद्रकाली च । ॥२॥ काली च महाकाली शिवइ.करी शबकरी पद्मनेत्रा हिमवत्तनया लक्ष्मी तिमति भुवनेश्वरी देवी ॥ । ३॥ त्वं बुद्धि-सिद्धि-वृद्धिस्तव ज्वालामालिनीश्वरी बाला । कामाक्षा जगदम्बा अवा नगदीश्वरी तारा ॥४॥ त्वम्विकाऽन्नपूर्णा श्रीविद्या त्रिपुरसुन्दरी जननी । त्वं भगवती भवानी मातङ्गी राजमातही ॥ ॥५॥ त्व भरवी त्रिनेत्री शक्तिस्तव हिड.गुभाज-हीह गोली । त्व वाग्वादिनी शारदा सरस्वती सत्यदेवी च ॥ ॥६॥ ज्वालामुखि भो बाला पीठा शाकम्भरी च स्वमनन्ता । शीतला तेतिला भद्रा पन्ना इष्माण्डी चक्रधरा ॥७॥
SR No.023194
Book TitleParshwanath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdayvirgani, Shreyansvijay
PublisherBhavanipur S M Jain Sangh
Publication Year1985
Total Pages568
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size35 MB
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