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जिनराजस्तोत्रम् एवं जिनेन्द्रस्तोत्रम् में भिन्नता
जैसे जिनराजस्तोत्रम् एक व्यंजनमय था तथैव जिनेन्द्रस्तोत्रम् भी एक व्यंजनमय है तथापि उभय में बडा अन्तर है ।
जिनराजस्तोत्रम् एक व्यंजनमय होते हुए भी अनेक स्वरमय था किन्तु जिनेन्द्रस्तोत्रम् एक वंयजनमय होते हुए मात्र (अ) एक स्वरमय ही है।
• सौम्यवदनाकाव्यम् : दो व्यंजनमय एवं अनेक स्वरमय
• जिनराजस्तोत्रम् : एक व्यंजनमय एवं अनेक स्वरमय
• जिनेन्द्रस्तोत्रम् : एक व्यंजनमय एवं एक स्वरमय