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अर्हत्स्तोत्रम्
( मंगलाचरण श्लोक की रचना पद्धति )
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- प्रस्तुत स्तोत्र के मंगलाचरण में (प्रथम श्लोक में) पूर्वोक्त पद्धति अनुसार श्लोक की रचना की गई है।
- वस्तुत: यह ‘अनुष्टुभ्' छंद में केवल ३२ वर्णो ही प्रयुक्त होते है, और सर्व व्यंजन ३३ है । अत: सर्व व्यंजनों के समावेश को ध्यान में रखते हुए ‘म' को अर्ध करके 'य' में संमीलित किया है । एक भी व्यंजन को पुनरुक्त किये बिना सर्वव्यंजनों का समावेश किया है।
- प्रस्तुत श्लोक में मात्र 'अ' स्वर का प्रयोग किया है।
- यह स्तुति श्री कलिकुण्ड पार्श्वनाथ भगवान की एवं स्वतंत्रतया श्री सामान्य जिनेश्वर परमात्मा की भी है।
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अर्हत्स्तोत्रम्