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पांचवां अधिकार।
[ १८१ तीसरा रुद्र पुष्पदंतकेसमयमें,चौथाशीतलनाथके समयमें,पांचा श्रेयांसनाथके समयमें, छठा वासुपूज्यके समयमें, सातवां विमलनाथके समयमें, आठवां अनंतनाथके समयमें, नौवां धर्मनाथके समयमें,दशवां शांतिनाथके समयमें और ग्यारहवां रुद्र श्रीवर्द्धमानके समयमें हुआ है ॥१६३॥ भीम, महाभीम, रुद्र, महारुद्र, काल, महाकाल, दुर्मुख, नरमुख, उन्मुख ये नौ नारदोंके नाम हैं । इनकी आयु नारायणोंके समान कही गई है ॥१६४-१६५॥ बाहुबलि, अमिततेज, श्रीधर, शांतभद्र, प्रसेनजित, चंद्रवर्ण, अग्निमुक्त, सनत्कुमार, वत्सराज, कनकप्रभ, मेघवर्ण, शांतिनाथ, कुंथुनाथ, अरनाथ, विजयराज, श्रीचंद्र, अनल, हनुमान, वली, सुदर्शन (वसुदेव), पद्युम्न, नागकुमार, श्रीपाल (मूक्तिमाघ), जंबूस्वामी ये चौवीस कामदेवोंके नाम हैं।।१६६-१६८ चौवीस तीर्थकर, बारह चक्रवर्ती, नौ नारायण, नौ प्रतिनारायण, नौ बलभद्र ये तिरेसठ शलाकापुरुष, (मुख्यपुरुष) विज्ञेया अष्टौ वीरेंऽतिमस्तथा ॥ १६३ ॥ आयो भीमो महाभीमो रुद्राभिधो यथाक्रमम् । महारुद्रस्तथा कालो महाकालश्च दुर्मुखः ॥१६४॥ अष्टमो नरवक्रश्चोन्मुखाख्यो नव नारदाः । प्रोक्ता आयुः स्थितिस्तेषां नारायणसमा मताः॥१६५॥बाहुबल्यमिततेनाः श्रीधरः शांतिभद्रकः । प्रसेनेंदुश्च चन्द्रेषुरग्निमुक्ताभिधस्तथा ॥ १६६ ॥ सनत्कुमारो वत्सराट् स्वर्णाभो मेघशांतिकौ । कुंथ्वरौ विजयश्चद्रो नलाख्यो हनुमान् बली ॥१६॥ सुदर्शनः प्रद्युम्नश्च नागकः सूक्तिमाधकः । जंबूस्वामी चतुर्विशाः कामदेवा इमे मताः ॥ १६८ ॥ त्रिषष्ठिपुरुषाः कामा नारदा मिनतातको । कुलकरास्तथा रुद्राः