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आदिनाथ चरित्र
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मानाचत्र
बज्रजघने कहा--"भद्रे ! इस पटमें मेरा और मेरी स्त्री का पूर्व जन्म का वृत्तान्त लिखा हुआ है, उसे देख मैं बेहोश हो गया। यह श्रीमान् ईशान कल्प है, उसमें यह श्रीप्रभ विमान है, यह मैं ललितांग देव हूँ और यह मेरी देवी स्वयंप्रभा है।
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