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________________ ७२ ] ऋषभदेवचरितम् पढमो केवलि-महिमा देवेहिं कओ हट्ठचित्तेहिं । सोय- हरिसाउलो सो वंदइ भरहो जिणंदवरं ॥ ८३६ ॥ पुत्तो सिरि उस समो नासी विस्से य जो भमित्ताणं । लद्धं केवल-रयणं समप्पियं माउए पढमं ।। ८३७ ॥ माया मरुदेवी- समा नो जाया जा गया विलोगत्थं । निय-पुत्त-वरिय-वरमुत्ति-वहू-मुहंभोययं पढमं ॥ ८३८ ॥ पंच य पुत्त-सयाई भरहस्स य सत्त नत्तु य सयाइं । सयराहं पव्वइया तंमि कुमारा समोसरणे ।। ८३६॥ बंभी वि पव्वईया सुरक्खिया सुंदरी य भरणं । जं थी - रयणं पवरं भविस्सइ मज्झ इय भावा ॥ ८४० ॥ भरहस्स परिभवाओ अडनवइ बंधवाओं निक्खता । बाहुबली पुण जुज्झं किच्चा पच्छा उ निक्खंतो ॥ ८४१ ॥ पढमं दिट्ठी- जुद्धं वाया- जुद्धं तहेव बाहाहिं । मुट्ठीहि य दंडेहि य सव्वत्थ वि जिप्पए भरहो ॥ ८४२ ॥ लहु-बंधू कह वंदे केवलिणो तेण केवली होउं । गच्छिस्सामि तओ हं पडिमाइ ठिओ य तत्थ मुणी ॥ ८४३ ॥ वरसंते पेसियाओ हत्थि - विलग्गस्स न केवलं होइ । बंभ - सुंदरी- समणी भांति एवं सुणइ सो य ॥ ८४४॥ माण- गयंदे चडिओ जा उप्पाडेइ चिंतिउं पाए । ता वरनाणं पत्तो पत्तो जिणपाय- नमणत्थं ॥। ८४५ ॥ ★ ते चउलीसं लक्खा वीससहस्सा हवंति वरिसाणं । चउण्ह जुग्गप्पमाणं चउक्कडीए पमाणमिणं ॥ ८४६ ॥ एगा कोडी तेसट्ठिलक्ख - तित्तीससहस्स तिण्णि सया । तित्तीसा य तिभागो चउक्कडी - इक्कपुव्वंमि ।। ८४७ ॥ ★ १७,२८००० स. १२,६६००० त्रे. ८,६४००० द्वा. ४,३२००० कलिं.. [ कल्पान्तर्वाच्यः त्रितालीस लाख वीस सहस्स वरसे चार युग प्रमाण ते चुकडी.....
SR No.023172
Book TitleKalpantarvcahya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPradyumnasuri
PublisherSharadaben Chimanbhai Educational Research Centre
Publication Year1997
Total Pages132
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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