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________________ ( ८ ) यशोधरचरित - महाकवि वादिराज सूरिके संस्कृत काव्यका सरल हिन्दी अनुवाद | खतम अकलंक - चरित – अकलंक -स्तोत्र और उसका भावार्थ तथा हिन्दी पद्यानुवादसहित । खतम । सुकुमालचरित - सार - ब्रह्मचारी नेमिदत्त के संस्कृत ग्रन्थका सरल हिन्दी अनुवाद | खतम । बनवासिनी – विवाहका क्या उद्देश्य है, पति-पत्नीका आदर्श प्रेम कैसा होना चाहिये, उच्चप्रेम किसे कहते हैं, आदि बातों का इसमें बहुत अच्छा वर्णन है। बहुत थोड़ी प्रतियां रही हैं । मू० /-) कर्मदहन - विधान - इसमें कर्मदहन पूजा, कर्मदहनके उपवासोंकी विधि, जाप्य देने की विधि तथा जाप्यके मंत्र आदि सब छपे हैं। मूल्य 13 ) त्रैवर्णिकाचार- - यह आपके हाथमें है । मूल्य ६ ) इनके सिवाय और सब जगह के छपे हुए सब तरहके जैन ग्रंथ, स्वदेशी पवित्र केशर, दशांग धूप, सूतकी जाप-मालाएं और फोटो नकशे भी विक्रयार्थ हमारे यहां हर समय तैयार रहते हैं । पता - बिहारीलाल कठनेरा जैन, मालिक - जैन-साहित्यप्रसारकं कार्यालय, हीराबाग, गिरगांव - बम्बई ।
SR No.023170
Book TitleTraivarnikachar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSomsen Bhattarak, Pannalal Soni
PublisherJain Sahitya Prasarak Karyalay
Publication Year1924
Total Pages440
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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