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________________ पृष्ठ सं० पंक्ति सं० ३२४ १३ ३२४ ३२६ ३३९ ३३९ - ३३९ ३६१ ३७२ ३७४ ३८४ ३८४ १७ २० १२ १३. १४ ११ ३ २३ १ १ अशुद्धियां । वेद के दोनों तरफ ( २९ ) पूर्वोक्त दोनों धान्यके पन्त्रैः चेददृशम् विवाह में भी सोलह दिन के क कर मस्तकपर पुरोहितजी सूतक है दका और शुद्धियां । उक्त धान्यके दोनों पुंजोंकी आजू-बाजू उन दोनों धान्यों के मंत्र: च व्रते दशम् विवाह में दश दिनके कह कर * मस्तकपर अमृतमंत्रद्वारा पुरोहितजी जननाशौच है मरणाशौच कछ नहीं ननँदका और ननँद भावीका तथा सालेका और साला बहनोईका सालेका * * * * इनके सिवाय कुछ श्लोकोंका अर्थ अशुद्ध हो गया है । उनका शुद्ध भाषांतर तथा भावार्थ हम नीचे लिखते हैं । पाठक यथास्थान ठीक करके ग्रंथका स्वाध्याय करें । पृष्ठ ३३ में श्लोक नं० ३६: जलाशय में से किसी पात्रमें प्रासुक जल ले, दोनों जाँघों के बीचमें दोनों हाथ करके यथोचित बैठे और उस जलसे शौच करे | पृष्ठ ३३ में श्लोक नं० ३७: जलाशयक भीतर गुद-प्रक्षालन न करे, किन्तु किसी पात्रमें छना हुआ पवित्र जल जुदा लेकर उससे शौच करे । यदि किसी पात्रमें जदा जल न लेकर जलाशय में ही शौच करे तो वह भी जलसे करीब एक हाथ दूर बैठकर शौच करे। यहां ' गालितेन पवित्रेण ' के स्थान में " रत्निमात्रं जलं त्यक्त्वा ' ऐसा भी पाठ है । - पृष्ठ ३७ में श्लोक नं० ६०: भावार्थ - यह उद्धृत श्लोक है । इसका जैन सिद्धान्त के अनुसार तात्पर्य इतना ही है कि कुरला करनेवाला अपने मुखके कुरले अपनी बाई ओर फेंके सामने या पीठकी तरफ या दाहिनी ओर न फेंके। पृष्ठ ५२ में श्लोक नं० १३:-- भावार्थ- -यह प्रकरण तर्पणका है। आगे पृष्ठ नं० ८१, ८२ और ८३ में ऋषितर्पण, पितरतर्पण और जयादिदेवतोंके तर्पण मंत्र हैं । इनके अलावा वस्त्र निचोड़कर पितरोंको जल देनेका कोई मंत्र नहीं है । और श्लोक नं० १२ में मंत्र - पूर्वक वस्त्र निचोड़ना लिखा है तथा तर्पणके अनतर वस्त्र - संप्रोक्षण और वस्त्र परिधारण होता है। वस्त्र निचोड़नेका नंबर बादमें आता है । परंतु यहां बीचही में वस्त्र निचोड़ा हुआ जल देना लिखा हुआ है । इससे ऐसा मालूम पड़ता है कि शायद श्लोक नं० ११, १२, १३, प्रकरण पाकर किसीने क्षेपक तो नहीं मिला दिये हैं या किसीने
SR No.023170
Book TitleTraivarnikachar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSomsen Bhattarak, Pannalal Soni
PublisherJain Sahitya Prasarak Karyalay
Publication Year1924
Total Pages440
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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