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________________ त्रैवर्णिकाचार । ३१३ जो ऊपर कहे हुए शुभ लक्षणोंसे युक्त हो, पतिकी जन्म-राशिसे जिसकी जन्म राशि छठवीं या आठवीं न पड़ती हो, और जिसका वर्ण पतिके वर्णसे विरुद्ध न हो, ऐसी सुभग कन्याके साथ विवाह करना चाहिए ॥ ३५ ॥ . रूपवती स्वजातीया स्वतो लध्वन्यगोत्रजा। भोक्तुं भोजयितुं योग्या कन्या बहुकुटुम्बिनी ॥ ३६ ॥ जो रूपवती हो, अपनी जातिकी हो, वरसे आयु और शरीर में छोटी हो, दूसरे गोतकी हो, और जिसके कुटुंबमें बहुतसे स्त्री-पुरुष हों, ऐसी कन्या विवाहके योग्य होती है ।। ३६ ।। सुतां पितृष्वसुश्चैव निजमातुलकन्यकाम् । स्वसारं निजभायर्यायाः परिणेता न पापभाक् ॥ ३७॥ भुआकी लड़कीके साथ, मामाकी कन्याके साथ और सालीके साथ विवाह करनेवाला पातकी नहीं है । भावार्थ-जहां जैसा रिवाज हो वहां वैसा करना चाहिए। यह कोई खास नियम वाक्य नहीं है। सोमदेवनीतिमें मामाकी कन्याके साथ विवाह करने में देश और कालकी अपेक्षा बताई है। यथा “देशकालापेक्षो मातुलसम्बन्धः" । अतः जो उक्त संबंध नहीं करते हैं वे आगम वाक्यकी अव. हेलना करनेवाले नहीं हैं । यह वाक्य विधि-वाक्य नहीं है, किन्तु योग्यता-सूचक है । योग्यता सूचक वाक्य नियामक नहीं होते कि ऐसा करना ही चाहिए ॥ ३७ ॥ पुत्री मातृभगिन्याश्च स्वगोत्रजनिताऽपि वा । श्वश्रूस्वसा तथैतासां वरीता पातकी स्मृतः ॥ ३८ ॥ अपनी मौसीकी लड़की, अपने गोतकी लड़की तथा अपनी सासकी बहनके साथ विवाह करनेवाला पातकी माना गया है ॥ ३८ ॥ यस्यास्तु न भवेद्भाता न विज्ञायत वा पिता । नोपयच्छेत तां प्राज्ञः पुत्रिकां धर्मशङ्कया ॥ ३९ ॥ जिस कन्याके भाई अथवा पिता न हो उस कन्यासे धर्मकी हानि होनेकी आशंका होनेके कारण बुद्धिमान पुरुष विवाह न करे ॥ ३९ ॥ स्ववयसोऽधिकां वर्षगन्नतां वा शरीरतः। गुरुपुत्रीं वरेनैव मातृवत्परिकीर्तिता ॥ ४०॥ अपनेसे उमर में बड़ी हो, अपने शरीरसे ऊंची हो तथा गुरुकी पुत्री हो तो इनके साथ विवाह न करे । क्योंकि ये माताके समान मानी गई हैं ॥ ४० ॥ विवाहके पांच अंग। वाग्दानं च प्रदानं च वरणं पाणिपीडनम् । सप्तपदीति पञ्चांगो विवाहः परिकीर्तितः ॥ ४१ ॥ वाग्दान, प्रदान, वरण, पाणिग्रहण और सप्तपदी, ये विवाहके पांच अंग कहे गए हैं ॥ ४१ ॥ ४०
SR No.023170
Book TitleTraivarnikachar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSomsen Bhattarak, Pannalal Soni
PublisherJain Sahitya Prasarak Karyalay
Publication Year1924
Total Pages440
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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