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________________ विषय. सेना के आठ भेद प्रत्येक का परिमाण और अक्षौ - हिणी सेनाका परिमाण मुकुटबद्धका दूसरा स्वरूप. श्रेणिके नाम अधिराजा-महाराजा आदि का लक्षण चक्रवर्ती की संपत्ति राजा के अन्य कर्तव्य वैश्यों के कर्तव्य. षिकर्म, लाँच न लेना आदि कृषिकर्म और उसका निषेध पशुपालन और तीन तरहका वाणिज्य माप वगैरह हीनाधिक न रखना कपड़ोंकी सफाई बेचने न बेचने योग्य वस्त्र: निष्कपट सोने आदि का व्यापार खोटा माल न वेचना और धूर्तता न करना चौरी आदिका माल न लेना किसीका द्रव्य न हड़पना तराजू वांट आदिके हीनाधिक रखनेका निषेध देन लेन न करने योग्य द्रव्य >> मनुष्य व्यापार करने योग्य मनुष्य स्पर्श्य शूद्र व्यापार के लिए दूरदेश जाना जहाज आदिमें धर्म की रक्षा करना शूद्रों का कर्म तृष्णा-निषेध ܕܕ आलस्य-त्याग जिनस्मरणके अवसर (१६) पृष्ठ. विषय. २१६ लौकिक- आचार २१७ २१७ " २१७ २१८ २१९ २२० २२१ " د निषिद्धयस्थान ऋतुमती होनेपर संभोगक्रिया " रात्रि में गर्भ बीजारोपण उस समयकी आवश्यक बातें गर्भ बीजारोपण संबंधी मंत्र. " २२२ २२२ दीपक जलाने के विषयमें नियम अंतिम वक्तव्य. " " करे तो दोष मोद या श्रावकोंकी तैंतीस क्रियाएं गर्भाधान क्रयाविधि शयनसमय शिर करनेकी विधि पुंसवन क्रिया " सीमंत क्रिया " आठवां अध्याय । · ऋतुस्नाता स्त्रीके पास गमन करने में दोष ऋतु स्नाता स्त्री पुरुष के समीप गमन न " " उक्त क्रियाओं के विषयमें विशेषकथन गर्भिणी स्त्री धर्म पति के धर्म २२२ २२३ प्रीति, सुप्रीति और प्रियोद्भव २२३ पुत्रोत्पत्तिके अनन्तर पिताके कर्तव्य और २२४ नालछेदन विधि उस समय प्रतिदिन के कर्तव्य जननाशौचकी मर्यादा प्रसूतिगृहमें मुनियोंको भोजननिषेध " २२५ प्रसूता दासी आदिका सूतक वर्तशुद्ध " " पुत्रमुख निरीक्षण मंत्र २२६ नामकर्म विधि पृष्ठ. २२६ -२२७ २२८ २३१ २३२ २३३ २३४ २३४ २३४ २३४ २३६ २३७ २३८ २३८ २३९ २४१ २४२ २४३ २४३ २४३ २४४ २४४ २४५ २४५ २४५ २४६ २४६
SR No.023170
Book TitleTraivarnikachar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSomsen Bhattarak, Pannalal Soni
PublisherJain Sahitya Prasarak Karyalay
Publication Year1924
Total Pages440
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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