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________________ त्रैवर्णिकाचार । ॐ ॐ ॐ ॐ रं रं रं र अग्निं स्थापयामि स्वाहा ॥ अग्निस्थापनम् ॥२८॥ इसे पढ़कर कुंडमें अग्निकी स्थापना करे ॥ २८ ॥ ॐ ॐ ॐ ॐ र र र र दर्भ निक्षिप्य अग्निसन्धुक्षणं करोमि स्वाहा ॥ अग्निसन्धुक्षणम् ॥ २९॥ यह पढ़कर कुंडमें दर्भ डाल कर अग्नि जलावे ॥ २९ ॥ ॐ ही इवीं क्ष्वी वं में हं सं तं पं द्रां द्रां हं सः स्वाहा ।। आचमनम् ॥ ३० ॥ यह मंत्र पढ़कर आचमन करे ॥ ३० ॥ ॐ भूर्भुवः स्वः अ सि आ उ सा अहं प्राणायामं करोमि स्वाहा । - त्रिरुच्चार्य प्राणायामः ॥३१॥ इस मंत्रका तीन वार उच्चारण कर प्राणायाम करे ॥ ३१ ॥ ॐ नमोऽर्हते भगवते सत्यवचनसन्दर्भाय केवलज्ञानदर्शनप्रज्वलनाय पूर्वोत्तराग्रं दर्भपरिस्तरणमुदुम्बरसमित्परिस्तरणं च करोमि स्वाहा ॥ होमकुण्डस्य चतुर्भुजेषु पञ्चपञ्चदर्भवेष्टितेन परिधिबन्धनम् ॥ ३२ ॥ “ॐ नमोऽईते " इत्यादि पढ़कर कुंडके चारों कोनोंपर पांच पांच दर्भको एक साथ बांधकर परिधिबन्धन करे दक्षिण और उत्तरके कोनेपर रवखे हुए दीकी नौके पूर्व दिशाकी और करे और पूर्व पश्चिमके कोनोंपर रक्खें हुए द की नोंके उत्तरकी ओर करे ॥ ३२ ॥ ॐ ॐ ॐ ॐ रं रं रं रं अग्निकुमार देव आगच्छागच्छ इत्यादि । इत्यदेिवमाहूय प्रसाद्य तन्मौल्युद्भवस्यामेरस्य गार्हपत्यनामधेयमत्र संकल्प्य अर्हद्दिव्यमूर्तिभावनया श्रद्धानरूपदिव्यशक्तिसमन्वितसम्यग्दर्शन भावनया समभ्यर्चनम् ॥३३॥ “ ॐ ॐ ॐ ॐ ” इत्यादि मंत्र पढ़कर अग्निदेव ( अग्नि कुमार ) का आव्हान करे, उसे प्रसन्न करे अर्थात् अग्नि जलावे, उस अग्निकी ऊपरकी ज्वालामें 'गार्हपत्य । इस नामकी कल्पना करे और अर्हन्त भगवानकी दिव्यमूर्तिकी तथा श्रद्धान रूप दिव्यशक्ति युक्त सम्यग्दर्शनकी भावना कर पूजा करे ॥ ३३ ॥ . ॥ ३३॥ .. .. . . .. . . ..
SR No.023170
Book TitleTraivarnikachar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSomsen Bhattarak, Pannalal Soni
PublisherJain Sahitya Prasarak Karyalay
Publication Year1924
Total Pages440
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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