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________________ वार्षिकाचार। ..... विश्वेश्वर्यः पराः पूज्याः कुलखीमिनिकेतने।। अवन्ध्या जायन्ते तासां पूजनात्तु कुलस्त्रियः ॥२०८ ॥ . वे प्रशंसनीय क्रियादेव होमके समय शान्तिके अर्थ अवश्य पूजने योग्य हैं, क्योंकि ये क्रियादेव इस कार्यके मुख्य स्वामी हैं। श्री जिनेन्द्रदेवकी माताओंको विश्वेश्वरी कहते हैं । कुलीन स्त्रियोंको चाहिए कि वे इन विश्वेश्वरी देवतोंकी अपने घरमें अवश्य पूजा करा करें । इनके पूजनेसे वे कुलीन स्त्रियाँ अपने वन्ध्यापनको छोड़ कर अच्छे अच्छे पुत्र प्रसव करनेवाली हो जाती हैं ॥२०७॥२०८॥ कुबेरपूजनादृहे लक्ष्मीर्वसति शाश्वती। . धरेन्द्रपूजनात्पुत्रप्राप्तिभवति चोत्तमा ॥ २०९ ॥ कुबेरके पूजनेसे हमेशा घरमें लक्ष्मीका निवास रहता है और धरणेन्द्रके पूजनेसे उत्तम पुत्रकी प्राप्ति होती है ॥ २०९॥ श्रीदेवीपूजनागर्भस्थितो बालो न नश्यति । वस्त्रैर्भूषैः फलैश्चान्नैः सम्पूज्या वेश्मदेवताः ॥ २१० ॥ श्रीदेवीकी पूजा करनेसे गर्भमें स्थित बालक नाशको प्राप्त नहीं होता । इस लिए वस्त्र, आभूषण, फल और अन्नसे गृहदेवोंको पूजना चाहिए ॥ २१० ॥ ज्वालिनी रोहिणी चक्रेश्वरी पद्मावती तथा। कुष्माण्डिनी महाकाली कालिका च सरस्वती ॥ २११ ॥ गौरी सिद्धायनी चण्डी दुर्गा च कुलदेवताः । पूजनीयाः परं भक्त्या नित्यं कल्याणमीप्सुभिः ॥ २१२ ॥ ज्वालिनी, रोहिणी, चक्रेश्वरी, पद्मावती, कुष्माण्डिनी, महाकाली, काली, सरस्वती, गौरी, सिद्धायनी, चण्डी, और दुर्गा ये देवियां कुलदेवता कहलाती हैं। अपना भला चाहनेवाले पुरुष निरन्तर इनका भक्तिपूर्वक सत्कार करें ॥२११॥२१२॥ पूज्याश्चतुर्विधा देवा धर्मार्थकाममीप्सुभिः। इप्सितार्थप्रदा विघ्नहराश्च भाविसिद्धिदाः ॥ २१३॥ धर्म, अर्थ और कामके चाहनेवाले पुरुष इन चार प्रकारके देवोंकी पूजा करें । ये देव मनचाहे अर्थको देनेवाले हैं, विघ्नको हरनेवाले हैं, और भावी सिद्धिके देनेवाले हैं ॥२१३॥ १६
SR No.023170
Book TitleTraivarnikachar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSomsen Bhattarak, Pannalal Soni
PublisherJain Sahitya Prasarak Karyalay
Publication Year1924
Total Pages440
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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