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________________ पंचलिंगीप्रकरणम् चयनित शब्दावली अबद्ध - कर्मबंध रहित अभय - भयरहित अभ्युद्धत - सन्नद्ध, कार्य करने के लिये तैयार अचेतन - चेतनारहित, अजीव अधर्म (अधर्मास्तिकाय) - स्थैर्य का माध्यम या एण्टीईथर अहर्निश - रात-दिन अहेतुक - अकारण अजीव - जड़-अचेतन पदार्थ; जैन दर्शन का दूसरा तत्त्व अकृत - जो अभी तक किया नहीं गया हो अक्षि - ऑख अलंकार - साहित्य व कावय में भाषा सौष्ठव के लिये प्रयुक्त शब्द अमृत - ऐसा द्रव्य जिसे पीने से व्यक्ति अमर हो जाता है अंकन - दागना अणगार चारित्र - मुनिचर्या अनाचीर्ण - हीन कर्म जो आख्रणीय न हो अनादि - जिसका प्रारंभ न हो अनागत - जो अभी आया न हो, भूतकाल अनन्त - जिसका अंत न हो, शाश्वत अनर्थ - अपराध, हित के __ प्रतिकूल अनार्य - नीच अनिष्ट - अवांछित अनित्य - नाशवान अनुदय - कर्म का उदय में नी आना अनुकम्पा - दया, करुणा, सहानु भूति, संवेदना अपात्र - अयोग्य अपवाद - नियमविरुद्ध अप्काय - ऐसे जीव जिनकी काया जल हो अप्रिय - जो अच्छा न लगे अर्जन - कमाई अर्थ - मतलब, व्याख्या; रुप्या-पैसा अर्थकाण्ड - अर्थशास्त्र अर्थशुद्धि - सही व्याख्या, विशेषकर धर्मग्रंथों की
SR No.023142
Book TitlePanchlingiprakaranam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemlata Beliya
PublisherVimal Sudarshan Chandra Parmarthik Jain Trust
Publication Year2006
Total Pages316
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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