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________________ ज्ञाताधर्मकथांग का सांस्कृतिक अध्ययन की खोज के लिए नगर रक्षकों को रिश्वत (बहुमूल्य भेंट) देता है।88 धन्य सार्थवाह कोई सामान्यजन नहीं था। सार्थवाह का समाज में उच्च और प्रतिष्ठित स्थान होता है। जब उस जैसे प्रतिष्ठित व्यक्ति को भी भेंट (रिश्वत) देनी पड़ी तो साधारणजनों की क्या स्थिति होगी, यह समझना कठिन नहीं होगा। न्याय के तराजू में राजा और रंक के साथ कोई भेदभाव नहीं था। अनीति का दण्ड सबको दिया जाता था, चाहे वह फिर राजा ही क्यों न हो। ज्ञाताधर्मकथांग में उल्लेख मिलता है कि पद्मनाथ राजा की अनीति के कारण कपिल वासुदेव ने उसे देश निर्वासन का आदेश दिया। राजदंड से मुक्ति के लिए जुर्माना भरने का भी उल्लेख ज्ञाताधर्मकथांग में मिलता है। धन्य सार्थवाह को परिवार वालों ने जुर्माना चुकाकर राजदंड से मुक्त कराया। अपराधियों को कारागार (चारकशाला) में बांधकर रखा जाता था। ज्ञाताधर्मकथांग में उल्लेख मिलता है कि विजयचोर को बेड़ियों में बांधकर चारकशाला में डाल दिया गया।" धन्य सार्थवाह को छोटा-सा राजकीय अपराध करने पर कारागार में बंद कर दिया गया। चारकशाला नगर के बाहर (किनारे) होने का उल्लेख मिलता है। राजपरिवार के विशिष्ट उत्सवों के अवसर पर कैदियों को कारागार से रिहा कर दिया जाता था। नगररक्षकों ने विजय चोर को मालुकाकच्छ में पंचों की साक्षी में पकड़ा। इससे स्पष्ट है कि अपराध को सिद्ध करने के लिए साक्षी का होना अनिवार्य समझा जाता था। राज्य के अधिकारी (प्रमुख कर्मचारी) राजव्यवस्था को संचालित करने के लिए राजा द्वारा विभिन्न अधिकारियों या कर्मचारियों की नियुक्ति की जाती थी। ज्ञाताधर्मकथांग में विभिन्न प्रकार के राज्य कर्मचारियों या अधिकारियों का उल्लेख मिलता है, जो राजकार्य में राजा की सहायता करते थे। इनका विवेचन इस प्रकार हैअमात्य किसी भी राजा की सफलता और राज्य की सुदृढ़ता बहुत कुछ अमात्य पर निर्भर करती है। अमात्य की कुशलता राज्य को सुदृढ़ता और समृद्धि की ओर 194
SR No.023141
Book TitleGnatadharm Kathang Ka Sanskritik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShashikala Chhajed
PublisherAgam Ahimsa Samta evam Prakrit Samsthan
Publication Year2014
Total Pages354
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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