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ज्ञाताधर्मकथांग का सांस्कृतिक अध्ययन निर्वाण कल्याणक महोत्सव
मल्ली भगवान के निर्वाण प्राप्ति पर इन्द्रादि देवता उपस्थित होकर निर्वाण कल्याणक महोत्सव सम्पन्न करते हैं- जिसमें अग्नि संस्कार करने और अस्थियाँ आदि ग्रहण करना प्रमुख है।385 अष्टाह्निक महोत्सव
तीर्थंकरों के प्रत्येक कल्याणक महोत्सव के बाद देवताओं द्वारा नन्दीश्वर द्वीप में जाकर अष्टाह्निक महोत्सव मनाने का उल्लेख ज्ञाताधर्मकथांग में मिलता है।386 (ii) सामाजिक उत्सव
आधुनिक सभ्य समाज में जिस प्रकार सामाजिक उत्सवों का आयोजन होता है, उसी प्रकार प्राचीनकाल में भी सामाजिक उत्सवों का महत्वपूर्ण स्थान था। ज्ञाताधर्मकथांग में कुछेक सामाजिक उत्सवों का उल्लेख मिलता
है, जिनका दिग्दर्शन प्रस्तुत हैजन्मोत्सव
प्राचीन भारत में पुत्र जन्म का बड़ा उत्सव मनाया जाता था, क्योंकि साधारण से साधारण व्यक्ति को पुत्र जन्म से प्रसन्नता उत्पन्न होती है। ज्ञाताधर्मकथांग में उल्लेख है कि मेघकुमार के जन्म का समाचार अंग परिचारिकाओं ने राजा श्रेणिक को दिया तब उसने अत्यन्त प्रसन्न होकर उन्हें मधुर वचनों, पुष्प, गंध, माल्य और अलंकार प्रदान किए और अपने सिर के मुकुट को छोड़कर सभी अलंकार उन्हें भेंट स्वरूप दे दिए। राजा ने उन्हें दासत्व से मुक्त कर दिया। राजा ने सभी कैदियों को मुक्त करने का आदेश दिया। नगर को पुष्प और मालाओं से सज्जित किया गया। वस्तुओं के दाम घटा दिए गए और 18 श्रेणी-प्रश्रेणी को दस दिन तक स्थितिपतिका उत्सव मनाने का आदेश दिया। नगर को शुल्क रहित
और कर रहित करने की घोषणा कर दी गई और सर्वत्र मृदंगों की ध्वनि के साथ अनेक स्थानों पर गणिकाओं आदि के सुन्दर नृत्य होने लगे।387 पुत्र जन्मोत्सव की खुशी में विशाल भोज का आयोजन भी किया जाता था।388 जन्मगांठ
ज्ञाताधर्मकथांग में राजकुमारी मल्ली की जन्मगांठ मनाने का उल्लेख मिलता है। उस समय जन्मदिन मनाने को संवत्सवर प्रतिलेखन उत्सव कहा जाता था।389
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