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________________ ज्ञाताधर्मकथांग का सांस्कृतिक अध्ययन रीति-रिवाजों के माध्यम से व्यक्ति पर सामाजिक नियंत्रण किया जाता है । परिवार के नियंत्रण का उपकरण प्रेम और भावना पर आधारित होता है 1 8. ज्ञाताधर्मकथांग में जिनपालिक और जिनरक्षित को उनके माता-पिता लवण समुद्र की यात्रा पर जाने से प्रेमपूर्वक रोकने का प्रयास करते हैं और न मानने पर अपना प्रेम प्रदर्शित करते हुए उन्हें लवण समुद्र की यात्रा पर जाने की अनुमति दे देते हैं ।" परिवार का स्थायी व अस्थायी स्वभाव संघ अथवा समिति के रूप में परिवार की प्रकृति बहुत कुछ अस्थायी है जबकि संस्था के रूप में इसकी प्रकृति स्थायी है। एक संघ या समिति के जिस रूप में परिवार पति-पत्नी, बच्चों या कुछ अन्य निकट सम्बन्धियों का समूह मात्र है, जिसमें विवाह विच्छेद, मृत्यु, संतान के विवाह, नई संतान के जन्म आदि के कारण परिवर्तन आता रहता है, लेकिन एक संस्था के रूप में परिवार के कुछ नियम हैं, उसकी निश्चित कार्यप्रणाली है। नियमों व कार्य-प्रणालियों की व्यवस्था के रूप में परिवार की प्रकृति स्थायी है। ज्ञाताधर्मकथांग में जन्म, विवाह व दीक्षा आदि के विभिन्न प्रसंग परिवार के परिवर्तनशील स्वरूप को व्यक्त करते हैं । " संयुक्त परिवार संयुक्त परिवार भारतीय संस्कृति के परिचायक हैं। 'एक सबके लिए और सब एक के लिए' वाला स्वर्णिम स्वरूप इन परिवारों की पहचान है । संयुक्त परिवार सामाजिक विरासत के रूप में आदिकाल से चला आ रहा है। संयुक्त परिवार की कल्पना पूर्ववैदिक युग से ही की जा सकती है। इसके स्वरूप की जानकारी ऋग्वेद में अप्रत्यक्ष रूप से मिलती है । पुरोहित विवाह के समय वरवधू को आशीर्वाद देते हुए कहता है- "तुम यहीं घर में रहो, विमुक्त मत होओ, अपने घर में पुत्रों और पौत्रों के साथ खेलते और आनन्द मनाते हुए समस्त आयु का उपभोग करो।''"" यह भी कहा गया है कि तू सास, ससुर, ननद और देवर पर शासन करने वाली रानी बन 112 112
SR No.023141
Book TitleGnatadharm Kathang Ka Sanskritik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShashikala Chhajed
PublisherAgam Ahimsa Samta evam Prakrit Samsthan
Publication Year2014
Total Pages354
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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