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________________ राजनीतिक एवं ऐतिहासिक विवरण • 279 करते हैं। द्र० कारपोरेट लाइफ इन एन्शिएंट इण्डिया, पृ० 118-19 किन्तु बेनी प्रसाद जायसवाल के उपरोक्त मत से असहमत हैं: द्र० दी स्टेट इन एन्शिएंट इण्डिया, पृ० 158: जबकि यू०एन० घोषाल के अनुसार गणतन्त्र में विवाद सुलझाने और संघ में विवाद सुलझाने में परिणाम मात्र का अन्तर था। द्र० स्टडीज इन इण्डियन हिस्ट्री एण्ड कल्चर, पृ० 3801 55. प्राचीन भारतीय शासन पद्धति, पृ० 831 56. अर्थशास्त्र, 11/11 57. उत्तराध्ययन, 11/191 58. अरायणि वा गणरायणिवा जुवरायणि वा। दोरज्जणि वा. वेरज्जणि वा विरुद्धरज्जणि वा।। -आचारांग सूत्र एस०बी०ई० ,II,3/1/10 पृ० 138। 59. द्वैराज्यमन्योन्यपक्षद्वेषपुरागाम्यां परस्पर संघर्षेण वा विनयश्यति।-अर्थशास्त्र 8/21 60. मालविकाग्निमित्र, अं0 5/5/13।। 61. अत्ता हि अत्तनो नाथो को हि नाथो परोसिया। अत्तनाव सुदन्तेन नाथं लभति दुब्बलं।। 62. न वैराज्यं न राजास्सीन्न च दण्डो न दण्डिकः। . धर्मेणेव प्रजा: सर्वा रक्षन्ति एव परस्परम।।-शान्तिपर्व, 59/14। 63. ऐतरेय ब्राह्मण, 7/3/141 64. सायण प्रजातन्त्र राज्यों के अस्तित्व से अनभिज्ञ थे। अत: उन्होंने वैराज्य का अर्थ "इतरेभ्यो भूपतिभ्यः श्रेष्ठयम्'' किया है। महाभारत, 12/67/54 में विराट राजा का एक पर्याय माना गया है। यदि विराट का अर्थ विशेषण राजा हो सकता है तो वि बिना राजा भी हो सकता है। वैदिक इण्डेक्स में वैराज्य भी राजशक्ति का एक प्रकार कहा गया है जिसमें पूरी जनता का अभिषेक होता था व राजशक्ति अनेक हाथों में थी। 65. एरियन, अ० 9: द्र० प्राचीन भारतीय शासन पद्धति, पृ० 83। 66. सूत्रकृतांग एस० बी०ई० जि० 45 II, 1/13, पृ० 339। 67. उत्तराध्ययन, 11/181 68. वही, 11/191 69. वही, 11/22-231 70. वही, 11/171 71. कल्पसूत्र एस०बी०ई०, महावीर का जीवन 1/17-18, पृ० 2251 72. उत्तराध्ययन, 18/241 73. वही, 11/171 74. द्र० "अर्ली बुद्धिस्ट किंगशिप'', दी जनरल आफ एशियन स्टडीज, जि० 26, नं० 1, नवम्बर 1966, पृ० 171 75. उत्तराध्ययन, 18/351 76. वही, 11/22: 18/361 77. वही, 18/381 78. वही, 391 79. वही,411 80. वही, 421
SR No.023137
Book TitleJain Agam Itihas Evam Sanskriti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRekha Chaturvedi
PublisherAnamika Publishers and Distributors P L
Publication Year2000
Total Pages372
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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