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________________ राजनीतिक एवं ऐतिहासिक विवरण • 275 हो।168 जनपद का मुख्य नगर।169 5. खेट-जिसके चारों ओर धूलि का प्राकार हो।।70 6. कर्कट-पर्वत का ढलान तथा कुनगर,171 चूर्णिकार ने कुनगर का अर्थ जहां क्रय-विक्रय न होता हो किया है। जिले का छोटा सन्निवेश,172 प्रमुख नगर73 अथवा वह नगर जहां बाजार हो।।74 7. मण्डव-ढाई योजन अथवा चारों ओर आधे योजन जिससे एक योजन तक कोई दूसरा गांव न हो।175 8. द्रोणमुख-जहां जल और स्थल दोनों निर्गम और प्रवेश के मार्ग हों जैसे भृगुकच्छ और ताम्रलिप्ति।176 400 गांवों की राजधानी।।77 9. पत्तन78-जलमध्यवर्ती द्वीप तथा निर्जल भू-भाग वाला द्वीप। 10. आकर-जहां सोने, लोहे आदि की खान हो अथवा जिसके समीप मजदूर बस्ती हो। 11. आश्रम-तापसों का निवास स्थान तथा तीर्थस्थान हो।180 12. संवाह-जहां चारों वर्गों के लोग अति मात्रा में निवास करते हों।।। 13. सन्निवेश-यात्रा से आये मनुष्यों के रहने का स्थान तथा सार्थ और कटक का निवास स्थान।।82 14. घोष–अमीर बस्ती।।83 ___ आगमों से ज्ञात होता है कि राज्य का भार पुत्र को सौंपने की परम्परा उस समय विद्यमान थी।।84 निर्वंशी या प्रवृज्याग्रहण करने वालों की सम्पत्ति राज्याधीन हो जाती थी।185 जैन परम्परा में मिथिला के राजा नमि को राजर्षि के सम्बोधन से पुकारा गया है।।86 राजर्षि नाम के अतिरिक्त जैन सूत्रों में ऐसे अनेक राजाओं के उल्लेख हैं जिन्होंने सत्संगत पाकर आध्यात्मिक जीवन की ओर चरण बढ़ाये। राजगृह के मण्डिकुक्षि उद्यान में मगधेश्वर श्रेणिक को मुनि ने अनाथ बताया क्योंकि कर्मजनित पीड़ओं से कोई परिजन, विपुलधन-ऐश्वर्य व्यक्ति को त्राण नहीं दे सकता। यही अनाथता है। यदि श्रामण्यभाव से ममत्व और पीड़ा के बीज आसक्ति को त्याग जाये तो जीवन सार्थक हो सकता है। यह विचार जानकर त्रैणिक सपरिवार धर्मानुरक्त हुआ तथा श्रमण उपासक हुआ।।87 उत्तराध्ययन के एक अन्य ऐसे ही कुरुक्षेत्र के राजा इषुकार की चर्चा है।88 जिसे यह अध्यात्म प्रेरणा अपनी रानी कमलावती से प्राप्त हुई। काम्पिल्य नगर का राजा संजय भी मुनि उपदेश पाकर मुनि हो गया था।।89
SR No.023137
Book TitleJain Agam Itihas Evam Sanskriti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRekha Chaturvedi
PublisherAnamika Publishers and Distributors P L
Publication Year2000
Total Pages372
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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