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________________ अब यह कहा जा सकता है कि अजीव पृथ्वीरूप यह आकार कैसे बना है? अजीव को कौन धारण करता है? इसका उत्तर यह है कि पृथ्वीकाय के भी जीव हैं और जीव पर अजीव प्रतिष्ठित है। जीव सूक्ष्म है और अजीव स्थूल है। लेकिन सूक्ष्म पर स्थूल रहता है, यह बात प्रत्यक्षसिद्ध है। जो भी विशेष शक्ति है, वह सूक्ष्म में पाई जाती है। इसीलिए शास्त्रकार कहते हैं कि अजीव, जीव पर प्रतिष्ठित है। जीव कर्म -प्रतिष्ठित हैं अर्थात् कर्म पर अवलंबित है। अजीव को जीव ने संग्रह किया है और जीव को कर्म ने संग्रह किया है। भगवान् ने यह आठ बातें बतलाई हैं। गौतम स्वामी कहते हैं-प्रभो! आपका कथन सत्य है, मगर इसके लिए कोई उदाहरण भी बताइए, जिससे साधारण शिष्यों का भी उपकार हो! आकाश पर वायु और वायु पर पानी ठहरा है, यह बात आप प्रत्यक्ष देखते हैं, परन्तु ऐसा कोई उदाहरण भी बतलाइए, जिससे यह कथन सहज ही समझ में आ जाय। भगवान फर्माते हैं-कल्पना करो, कोई पुरुषार्थ में निपुण और बुद्धिमान पुरुष हाथ में चमड़े की मशक लिए हुए हैं। उस मशक में वह वायु भरे और मशक का मुंह बांध दे। फिर बीच में एक रस्सी बांध कर मशक की हवा को दो विभागों में बांट दे। तदन्तर मशक का मुंह खोल कर, एक हिस्से की हवा बाहर निकाल दे और उस खाली हिस्से में पानी भर दे और मशक का मुंह बंद करके, फिर बीचकी रस्सी भी खोल दे। ऐसा करने पर एक ही मशक के आधे भाग में हवा होगी और आधे भाग में पानी होगा। हे गौतम! वह मशक का पानी मशक में भरी हुई हवा पर ठहरेगा या नहीं? अवश्य ठहरेगा। हवा सूक्ष्म है और पानी उससे स्थूल है। फिर भी हवा के आधार पर पानी रहेगा या नहीं? गौतम ने कहा-हां, भगवन्! रहेगा! इस न्याय से मेरी पहले कही हुई बात सहज ही समझी जा सकती है कि हवा पर पानी रहता है। अब भगवान् एक दृष्टांत और देते हैं-हे गौतम ! एक चतुर आदमी नदी पार करना चाहता है, परन्तु वह तैरना नहीं जानता-अतएव उसने एक मशक ली, उसमें हवा भरी और उसका मुंह बांध दिया। तदन्तर वह मशक उसने कमर पर या पेट पर मजबूत बांधली और फिर वह अथाह जल में गिर पड़ा। अब हे गौतम, वह पुरुष उस मशक पर रहेगा या मशक उस पर रहेगी? गौतम स्वामी कहते हैं-वह पुरुष मशक पर रहेगा। - भगवती सूत्र व्याख्यान १६५ Doornameness Domes
SR No.023135
Book TitleBhagwati Sutra Vyakhyan Part 03 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJawaharlal Aacharya
PublisherJawahar Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages290
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size19 MB
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