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लोक-स्थिति
प्रश्न- भंते! त्ति भगवं ! गोयमे समणं जाव - एवं वयासी कइ विहाणं भंते! लोयद्विती पन्नत्ता ?
उत्तर- गोयमा ! अट्ठविहा लोयट्ठितो पन्नता तंजहा - आगास पइट्ठिए वाए, वाय पइट्ठिए उदही, उदहि पइट्ठिया पुढ़वीञ् पुढवि पइट्टिया तसा, थावरा पाणा । अजीवा, जीव पइट्ठिया, जीवा कम्म पइट्ठिया, अजीवा जीव संगहिया । जीवा कम्म संगहिया ।
प्रश्न - से केणद्वेण भंते! एवं वुच्चइ अट्ठ विहा जाव - जीवा कम्म संगहिया ?
उत्तर - गोयमा ! से जहा णामए केइ पुरिसे बत्थि माडोवेइ, उप्पं सितं बंधइ; बंधइता मज्झेणं गंठिं बंधइ, बंधइत्ता उवरिल्लं गठि मुयइ, मुइत्ता, उवरिल्लं देसं वामेइ, उवरिल्लं देसं वामेत्ता, उवरिल्लं देसं आउयायस्स पूरेइ, पूरित्ता, उप्पिं- सितं बंधइ, बंधित्ता मज्झिल्लं गठि मुयइ, मुइत्ता, से णूणं गोयमा ! से आउयाए तस्स वाउयायस्स उप्पिं उवरिमतले चिट्ठइ ?
"हंता, चिट्ठइ ।'
से द्वेणं जाव-जीवा कम्म संगहिया ।
से जहा वा केइ पुरिसे बत्थि माडोवेइ, माडोवेत्ता कडीए बंधइ, बंधित्ता, अत्थाह- मतार मपोरसियंसि, उदगंसि ओगाहेज्जा | से णूणं गोयमा ! से पुरिसे तस्स आउयायस्स उवरिमतले चिट्ठइ ?
हंता, चिट्ठइ |
एवं वा अट्ठ विहा लोयट्ठिई पण्णत्ता, जाव जीवा कम्म संगहिया । संस्कृत-छाया
प्रश्न- 'भगवन् !' इति भगवान् गौतमः ! श्रमणं यावत्-एवम् वादीत कर्तिविधा भगवन्! लोकस्थितिः प्रज्ञप्ता?'
भगवती सूत्र व्याख्यान १६१