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________________ पाठ - 17 प्राकृत वाक्यों का संस्कृत एवं हिन्दी अनुवाद 1. प्रा. अज्ज साहवो नयराओ विहरिस्सन्ति । सं. अद्य साधवो नगराद् विहरिष्यन्ति । हि. आज साधु भ. नगर से विहार करेंगे । प्रा. गोवाला पए घेणूओ दोहिहिन्ति । सं. गोपालाः प्रगे धेनोक्ष्यन्ति । हि. गोपाल सुबह गायों को दोहेंगे । 3. प्रा. अहं सीसाणमुवएसं करिस्सं । सं. अहं शिष्याणामुपदेशं करिष्यामि । हि. मैं शिष्यों को उपदेश दूंगा | 4. प्रा. मक्खिआ महं लेहिस्सइ । सं. मक्षिका मधु लेक्ष्यति । हि. मक्खी मधु चाटेगी। प्रा. पारद्धिणो अरण्णे वच्चिहिन्ते, तहिं च वीणाए झुणिणा हरिणीओ वसीकरिस्सन्ते, पच्छा य ताओ हिंसिहिरे । सं. पापद्धयोऽरण्ये व्रजिष्यन्ति, तत्र च वीणाया ध्वनिना हरिणीर्वशीकरिष्यन्ति, पश्चाच्च ता हिंसिष्यन्ति ।। हि. शिकारी जंगल में जायेंगे और वहाँ वीणा की ध्वनि से हिरनों को वश में करेंगे और उसके बाद उनको मारेंगे । प्रा. तुं अरण्णे जाज्जाहिसे, तया सिंघो चवेडाए पहरेहिए । सं. त्वमरण्ये यास्यसि, तदा सिंहश्चपेटया प्रहरिष्यति । हि. तू जंगल में जायेगा, तब सिंह तमाचे से प्रहार करेगा । प्रा. लोद्धओ मोग्गरेण जणे हणीअ । सं. लुब्धको मुद्गरेण जनानहन् । हि. लोभी मनुष्य ने मुद्गर से लोगों को मारा । प्रा. तुम्हे गुरु भत्तीए सेवेह , ताणं किवाए कल्लाणं भविस्सइ । सं. यूयं गुरून् भक्त्या सेवध्वम्, तेषां कृपया कल्लाणं भविष्यति । हि. तुम भक्ति से गुरुओं (बड़ों) की सेवा करो, उनकी कृपा से कल्याण होगा। 55987 - ७२ - -
SR No.023126
Book TitleAao Prakrit Sikhe Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaysomchandrasuri, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2013
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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