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________________ पाठ - 14 प्राकृत वाक्यों का संस्कृत एवं हिन्दी अनुवाद 1. प्रा. गोयमो गणहरो पहुं महावीरं धम्मस्स अधम्मस्स य फलं पुच्छीय । सं. गौतमो गणधरः प्रभुं महावीरं धर्मस्याऽधर्मस्य च फलमपृच्छत् । हि. गौतम गणधर ने प्रभु महावीर को धर्म और अधर्म का फल पूछा। 2. प्रा. पच्चूसे साहुणो पुरिमं देववंदणं समायरीअ, पच्छा य सत्थाणि पढीअ । सं. प्रत्यूषे साधवः पूर्वं देववन्दनं समाचरन् पश्चाच्च शास्त्राण्यपठन् । हि. प्रभात में साधुओं ने पहले देववंदन किया और बाद में शास्त्र पढ़े। 3. प्रा. रायगिहे नयरे सेणिओ नाम नरवई होत्या, तस्स पुत्तो अभयकुमारो नाम आसि, सो य विन्नाणे अईव पंडिओ हुवीअ । सं. राजगृहे नगरे श्रेणिको नाम नरपतिरभवत्, तस्य पुत्रोऽभयकुमारो नामाऽसीत्, स च विज्ञानेऽतीवपण्डितोऽभवत् । हि. राजगृह नगर में श्रेणिक नामक राजा था, उसके अभयकुमार नामक पुत्र था और वह विज्ञान में अतिपण्डित था । 4. प्रा. गिम्हे काले विसमेण आयवेण हालिओ दुक्खिओ होसी । सं. ग्रीष्मे काले विषमेणाऽऽतपेन हालिको दुःखितोऽभवत् । हि. ग्रीष्मकाल में प्रचंड ताप से किसान दुःखी हुआ । 5. प्रा. अज्जच्च कुंभारो बहू घडे कासी । सं. अद्यैव कुम्भकारो बहून् घटानकरोत् । हि. आज ही कुंभार ने बहुत घड़े बनाये । 6. प्रा. सरए ससंको जणस्स हिए आणंदं काहिअ | . सं. शरदि शशाङ्को जनस्य हृदये आनन्दमकरोत् । हि. शरद ऋतु में चन्द्र ने लोगों के हृदय में आनंद किया । 7. प्रा. सीयाले मयंकस्य पयासो सीयलो अहेसि । सं. शीतकाले मृगाङ्कस्य प्रकाश: शीतल आसीत् । हि. शीतकाल में चन्द्र का प्रकाश शीतल था । 8. प्रा. बालो जणयस्स विओगेण दुहिओ अभू । सं. बालो जनकस्य वियोगेन दुःखितोऽभवत् । हि. बालक पिता के वियोग (विरह) से दुःखी हुआ । LI
SR No.023126
Book TitleAao Prakrit Sikhe Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaysomchandrasuri, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2013
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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