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________________ अपि च-अष्टादशद्विसहसे, विक्रमवर्षे । कस्तूराचार्येण सुपाठमालायाः तृतीयसंस्करणं संरचितम् ।।5।। इति श्री शासन सम्राट् नेमि-विज्ञान-कस्तूरसूरि पहालङकारा चार्यदे श्री विजय चन्द्रोदयसूरि गुरुबन्धु आचार्यश्री विजय अशोकचन्द्रसूरि शिष्ट पंन्यास सोमचन्द्रविजय गणि सङकलिता श्री प्राकृतविज्ञान पाठमाला मार्गदर्शिक सम्पूर्णा ।। हिन्दी अनुवाद भक्त के मनोवांछित पूर्ण करनेवाले जिनेश्वर श्रीस्थंभनपार्श्वनाथ प्रभु को प्रणाम करके, जगद्गुरु श्रीनेमिसूरीश्वरजी को वंदन करता हूँ-जिनकी कृपा से मैंने इस पाठमाला की रचना की है । (1) संसार से संतप्त भव्यजीवों को बोधदायक मेरे गुरु श्रीविज्ञानसूरीश्वरजी को वंदन करता हूँ, क्योंकि जिनके द्वारा अशरण और मंदबुद्धिवान मेरा भवरूपी कुए में से उद्धार कराया है । (2) पंन्यास श्रीकस्तूरविजयगणि द्वारा विक्रम संवत् 1995 वर्ष, चैत्र महीने के शुक्लपक्ष में इस पाठमाला की रचना की गई । (3) जब तक यह जिनशासन जयवंत है और जब तक जैनधर्म जगत् में गूंजता है, तब तक प्राकृत के विद्यार्थियों द्वारा इस पाठमाला का सुखपूर्वक अभ्यास किया जाय । (4) विक्रमसंवत् 2018 वर्ष में आचार्य श्रीविजयकस्तूरसूरि ने इस पाठमाला का तीसरी बार संस्करण किया । (5) इस प्रकार शासनसम्राट्, तपागच्छाधिपति, सूरिचक्रवर्ती, जगद्गुरु कदंबगिरि प्रमुखानेक तीर्थोद्धारक भट्टारकाचार्य श्रीमद् विजयनेमिसूरिजी म. के पट्टालंकार पूज्यपाद आ. भट्टारक आचार्यदेव श्रीमद्विजयविज्ञानसूरिजी म. के पट्टधर विजयकस्तूरसूरिजी महाराज द्वारा रची हुई यह पाठमाला पूर्ण हुई। इस प्रकार श्री शासन सम्राट् श्री नेमि-विज्ञान-कस्तूरसूरि पट्टालंकार आचार्यदेव श्रीमद् विजय चन्द्रोदयसूरि गुरुबंधु आचार्यदेव श्रीमद् विजय अशोकचन्द्रसूरि शिष्य पंन्यास सोमचन्द्रविजय गणि वर्तमान में आचार्य श्री सोमचंद्रसूरीश्वरजी म.सा. संकलित श्री प्राकृत विज्ञान पाठमाला मार्गदर्शिका पूर्ण हुई। -२३८
SR No.023126
Book TitleAao Prakrit Sikhe Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaysomchandrasuri, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2013
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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