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________________ प्राकृत अंतरा अणेण वाहा मयाण गहणत्थं निलुक्का दिट्ठा, तओ सो वड्डेणं सद्देणं तेसि जोक्कारो ति भणइ, तेण सद्देण मया पलाया, तओ तेहिं रुट्ठेहिं सो घेत्तुं पहओ, सब्भावो अणेण कहिओ, ततो तेहिं भणियं जया एरिसं पेच्छेज्जासि तया निलुक्कंतेहिं नीयं आगंतव्वं, न य उल्लविज्जइ, सणियं वा, तओ अग्गे गच्छंतेण रयगा दिट्ठा, तओ निलुक्कंतो सणियं सणियं एइ तेसिं च रयगाणं पोत्तगा हीरंति, ते ठाणं बंधिऊण रक्खंति, सो निलुक्कंतो एइ, एस चोरोत्ति, तेहिं गहिओ बंधिओ पिट्टिओय, समावे कहियं मुक्को संस्कृत अनुवाद अन्तराऽनेन व्याधा मृगाणां ग्रहणार्थं निलीना दृष्टाः, ततः स बृहता शब्देन तेभ्यो 'जयकार" इति भणति, तेन शब्देन मृगाः पलायिताः, ततस्तैः रुष्टैः स गृहीत्वा प्रहतः, सद्भावोऽनेन कथितः, ततस्तैर्भणितं, यदेदृशं प्रेक्षेथाः तदा निलीयमानैर्नीचमवगन्तव्यम्, न चोल्लपेत्, शनैर्वा, ततोऽग्रे गच्छता रजका दृष्टाः ततो निलीयमानः शनैः शनैरेति, तेषां च रजकानां पोतकानि ह्रियन्ते, ते स्थानं बदध्वा रक्षन्ति, स निलीयमान एति एषः चौर इति तैर्गृहीतो बद्धः पिट्टितश्च, सद्भावे कथिते मुक्तः " हिन्दी अनुवाद बीच में उसको पशु = हिरनों को पकड़ने हेतु छिपे शिकारियों ने देखा, वह बड़ी आवाज से उनको 'जय जय' इस प्रकार कहता है, उसकी आवाज से हिरन भाग गए, अतः क्रोधित शिकारियों ने उसको पकड़कर मारा, इसने सत्य बात कही, इसलिए उन्होंने ( शिकारियों ने कहा कि जब ऐसा देखो तब छिपतेछिपते नीचे देखकर चलना चाहिए, कुछ भी बोलना नहीं अथवा धीरे-धीरे बोलना | उसके बाद आगे जाने पर धोबी दिखाई दिया इसलिए वह छिपते-छिपते धीरेधीरे चलता है; उस धोबी के वस्त्र हरण किये जाते हैं और उस स्थान पर बाँधकर वस्त्र रखे हुए हैं । वह छिपते-छिपते जाता है अतः यह चोर है यह मानकर धोबियों ने पकड़ लिया, बाँधा और मारा; सत्य बात कहने पर छोड़ दिया; १८७
SR No.023126
Book TitleAao Prakrit Sikhe Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaysomchandrasuri, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2013
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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