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________________ महानिहिणो नवमहानिहिणो । चउसद्विगुणियाइं सहस्साइं चउसट्ठिसहस्साइं । पवरा जुवईआ पवरजुवईआ | चउसट्ठिसहस्साइं च एआओ पवरजुवईआ चउसट्ठिसहस्सपवरजुवईआ । चउदसवररयणइंच नवमहानिहिणो यचउसट्ठिसहस्सप-वरजुवईआ य । चउदसवररयण-नवमहानिहि-चउसद्विसहस्सपवरजुवईआ । तासिं चउदसवररयण-नवमहानिहि-चउसट्ठिसहस्सपवरजुवईण (कर्मधारयउत्तरपदलोपितत्पुरुष-कर्मधारय-द्वन्द्वाः ) । सुंदरो य एसो वई सुंदरवई (कर्मधारयः) । हया य गया य रहा य हयगयरहा । सयाणं सहस्साइं सयसहस्साइं । हयगयरहाणं सयसहस्साइं हयगयरहसयसहस्साई । चुलसीगुणियाई ताई चुलसीहयगय रहसयसहस्साइं । तेसिं सामी चुलसीहयगयरहसयसहस्सामी (द्वन्द्व-षष्ठी-उत्तरपदलोपि-षष्ठीतत्पुरुषाः)। गामाणं कोडी गामकोडी । छन्नवइगुणिआ गामकोडी छन्नवइगामकोडी । ताए सामी छन्नवइगामकोडीसामी (षष्ठी-उत्तरपदलोपि षष्ठीतत्पुरुषाः)। सं. कुरुजनपदहस्तिनापुरनरेश्वरः, प्रथमं, ततो महाचक्रवर्तिभोगो महाप्रभावः । यो द्वासप्ततिपुरवरसहस्रवरनगरनिगमजनपदपतिः, द्वात्रिंशद्राजवरसहस्रानुयातमार्गः ।। चतुर्दशवररत्ननवमहानिधि - चतु :षष्टिसहस्रप्रवरयुवतीनां सुन्दरपतिः । चतुरशीतिहयगजरथशतसहस्रस्वामी, षण्णवतिग्रामकोटिस्वामी यो भगवान् भारते आसीत् | ||वेष्टकः।। ||77|| हि. कुरुदेश में हस्तिनापुर नगर में प्रथम राजा, महान् चक्रवर्ती के भोगवाले, अतिप्रभावशाली, बहोत्तर हजार श्रेष्ठ पुर, श्रेष्ठ नगर, निगम और जनपद के स्वामी, बत्तीस हजार उत्तम राजाओं द्वारा अनुसरित मार्ग है जिनका, चउदह श्रेष्ठ रत्न, नौ महानिधि और चौंसठ हजार श्रेष्ठ युवतियों के सुन्दर स्वामी, चौरासी लाख घोड़े, हाथी और रथ के स्वामी तथा छयानबे करोड़ गाँवों के स्वामी, जो भगवन्त भारत में थे । (वेष्टक छन्द)। बसून -१४३ ॐॐ
SR No.023126
Book TitleAao Prakrit Sikhe Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaysomchandrasuri, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2013
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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