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________________ विशेषण अहिय (अधिक) ज्यादा, अत्यन्त. निम्मलयर (निर्मलतर) अतिशय निर्मल. उज्जय (उद्यत) तत्पर. निच्च (नित्य) अविनश्वर, शाश्वत. खीण ) (क्षीण) जीर्ण, पुराना, पयासयर (प्रकाशकर) प्रकाश छीण ) दुर्बल. करनेवाला. झीण ) पच्छ (पथ्य) हितकारी वस्तु. जारिस (यादृश) जैसा, जिस प्रकार पसत्त (प्रसक्त) प्रसक्त , आसक्त. का. मइरामउम्मत्त (मदिरामदोन्मत्त) दारु तारिस (तादृश) वैसा. के मद से उन्मत्त बना हुआ. थिअ (स्थित) रहा हुआ , स्थिर हुआ. वच्छल (वत्सल) रागवान, स्नेही. निक्कारण (निष्कारण) प्रयोजनरहित. विब्भल(विह्वल) विह्वल, मोहित कारण बिना. विहल । लुंठिअ (लुण्ठित) छीना हुआ, लूटा रुक्क । (रुग्ण) रोगी. हुआ. रुग्गज सरिच्छ । (सदृश) समान. सोहण (शोभन) सुन्दर. सरिक्ख साहम्मिअ (साधर्मिक) समान धर्मवाला. अव्यय एत्थ अवस्सं (अवश्यं) जरूर, अवश्य | इअ, त्ति, ति, इइ (इति) इस तरह, अत्थ । (अत्र) यहाँ. | यह. अओ (अतः) इस कारण से, मिव , पिव, विव । (इव) जिस तरह, | जत्थ, जहि, जह (यत्र) जहाँ. ब्द, व, विअ, इव । तत्थ, तहि, तह (तत्र) वहाँ. णइ, चेअ, चिअ, च्च) कत्थ, कहि, कह (कुत्र) कहाँ. __ निर्णय, पच्छा (पश्चात्) बाद में. च्चिअ, च्चेअ, एव निश्चित अर्थ में | दिवा । (दिवा) दिन. इह (इह) यहाँ. दिआ धातु उववज्ज् (उप + पद्य) उत्पन्न होना, कुज्झ् (क्रुध् + क्रुध्य) क्रोध करना. पैदा होना. खल् (स्खल) रोकना, आणे (आ + नी) ले जाना, लाना. पसंस् (प्र + शंस्) प्रशंसा करना. ५५
SR No.023125
Book TitleAao Prakrit Sikhe Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaykastursuri, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2013
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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