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________________ हुन् । धातु इच्छ (इच्छ) इच्छा करना.. 4. बुज्झ् (बुध् - बुध्य) बोध होना, कंप् (कम्प्) काँपना, धूजना... ज्ञान प्राप्त करना, कर् (कृ) करना, जगना ,समझना. चिंत् (चिन्त) चिन्तन करना , मुज्झ् (मुह - मुह्य) मोह पाना, पागल विचार करना. होना, मोहित होना चर् (चर्) चरना, चलना ,फिरना. रक्ख् (रक्ष) रक्षण करना. निंद् (निन्द्) निन्दा करना. रम् (रम्) खेलना पास् (दृश्) देखना. लज्ज् (लज्ज) लज्जा पाना, शरमाना. भव् (भू-भव) होना, 15.वंद् (वन्द्) वन्दन करना, नमन करना हव् । बनना. हण् (हन्) मारना. 6. रुस् (रुष) रोष करना, खुश होना. तूस् (तुष्) खुश होना, संतोष पाना. |दूस् (दुष्) दोषित करना. पूस् (पुष) पोषण करना सीस् (शिष्) भेद करना. सीस् (कथ्) कहना. सूस् (शुष्) सूख जाना, सूखाना. 4. शब्द के अन्दर 'ध्य' और 'ह्य' हो तो 'ज्झ' होता है और प्रारम्भ में हो तो 'झ' होता है । बुज्झइ (बुध्यति) । सज्झाओ (स्वाध्यायः) | मुज्झइ (मुह्यति) सिज्झइ (सिध्यति) | संझा (सन्ध्या) नज्झइ (नाति) जुज्झइ (युध्यते) । झाणं (ध्यानम्) | गुज्झं (गुय्हम्) विज्झइ (विध्यति) | झायइ (ध्यायति) | सज्झं (सह्यम्) विशेष : ह्य का 'यह' भी विकल्प से होता है | उदा. गुरहं (गुह्यम्) सय्हं (सह्यम्) 5. आर्ष प्राकृत में 'वन्द्' धातु का प्र. पु. एकवचन में वंदे रूप संस्कृत की तरह सिद्ध होता है | उदा. उसभमजिअं च वंदे = ऋषभदेव और अजितनाथ को मैं वन्दन करता हूँ। भत्तीइ वंदे सिरिवद्धमाणं = श्री वर्धमानस्वामी को भक्तिपूर्वक वन्दन करता हूँ। - १२ D
SR No.023125
Book TitleAao Prakrit Sikhe Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaykastursuri, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2013
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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