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________________ किस कह-कह अ. (कथम्) कैसे, तरह ? क्यों, किस लिए ? • कहा स्त्री. (कथा) कथा, कहानी, काउस्सग्ग पुं. (कायोत्सर्ग) काया का त्याग, काउसग्ग काम पुं. (काम) इच्छा कामधेणु स्त्री. ( कामधेनु) कामधेनु, कुमारपना, कुमारावस्था गाय कामसम वि. (कामसम) काम के समान कायव्व वि. (कर्तव्य) करने योग्य काया स्त्री. (काया) देह कारण न. (कारण) कारण. काल पुं. (काल) काल, समय कालसप्प पुं (कालसर्प) कालरूपी सर्प किअंत वि. (कियत्) कितना किंतु अ. ( किन्तु ) परन्तु, लेकिन किंनर पुं. (किन्नर) किन्नर, देवविशेष किंपि किमवि, अ. (किमपि) कुछ भी किच्च नपुं. (कृत्य) करने योग्य, कर्तव्य, फर्ज किण्ह वि. (कृष्ण) काला, श्यामवर्ण का किन्नरी स्त्री. (किन्नरी ) व्यंतर देवी किर- इर - हिर-किल अ. (किल) संभावना, निश्चय, सत्य, तिरस्कार दर्शक किवण वि. (कृपण) लोभी, गरीब, रंक, दीन किवा स्त्री. (कृपा) दया कुंभआर - कुंभार पुं. (कुम्भकार) कुम्हार कुगइ स्त्री. (कुगति) अशुभ गति ( नरक और तिर्यंचगति) " कुच्छि पुं. स्त्री. (कुक्षि) उदर, पेट कुटुंब वि. (कुटुम्बिन्) कुटुम्बवाला, गृहस्थ कुढार पुं. (कुठार) कुल्हाड़ा, फरसा कुमार-कुमर पुं. (कुमार) कुमार कुमारत्तण नपुं. (कुमारत्व) कुमारवाल कुमरवाल पुं. (कुमारपाल ) कुमारपाल राजा कुरु पुं. बहुव. (कुरु) देश का नाम कुल पुं. नपुं. (कुल) कुल, वंश केणइ अ. (केनचित् ) किसी के द्वारा रिसी स्त्री. (कीदृशी) किस प्रकार की केवल पुं. (केवल) केवलज्ञान, वि. असाधारण, असहाय केवलं अ. (केवलम् ) केवल, अकेला, अनुपम, अद्वितीय केवलि पुं. (केवलिन) केवली, केवलज्ञानी, सर्वज्ञ केसरि पुं. (केसरिन् ) सिंह कोवसम वि. (कोपसम) क्रोध के समान कोसा स्त्री. ( कोश्या) वेश्या का नाम कोसलिअ वि. ( कौशलिक) अयोध्या में उत्पन्न कोह पुं. (क्रोध) क्रोध मात्र, ख खंड पुं. नपुं. (खण्ड) टुकड़ा पृथ्वी का अमुक भाग । खंडिय पुं. (खण्डिक) छात्र, विद्यार्थी २५०
SR No.023125
Book TitleAao Prakrit Sikhe Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaykastursuri, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2013
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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