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________________ वर्ण विज्ञान + स्वर हस्त ऊ | ऐ | - अनुस्वार वर्ण विकार ए,अय् | अन् | ए.अइ | ओ, | अ,इ, | इलि अउ | उ,रि - पा. 5 नि. 3 स्वर - 1. प्राकृत में 'ऋ' स्वर का विकार 'अ' होता है, किसी स्थान में 'इ-उ' और 'रि' भी होता है | उदा. घयं = घृतम् मओ = मृग : किवा = कृपा पुट्ठो = स्पृष्टः रिद्धि = ऋद्धिः 2. 'लु' स्वर का विकार 'इलि' होता है । उदा. किलिन्नं = क्लृन्नम् किलित्तं = क्लृप्तम् 3. 'ऐ' और 'औ' का विकार क्रमशः 'ए' और 'ओ' होता है, किसी स्थान में 'अइ' और 'अउ' भी होता है। उदा. सेन्नं-सइन्नं = सैन्यम्, तुलक्कं-त्रैलोक्यम् , कोमुई-पउरो = कौमुजी-पौरः कैयवं-ए-कौरवा = कैतवम् अयि कौरवाः ऐसे कुछ शब्दों में ऐ-औ का प्रयोग भी होता है । 4. विसर्ग का प्रयोग नहीं होता है लेकिन 'अ' के बाद विसर्ग हो तो अ सहित विसर्ग का 'ओ' होता है ।। उदा. सब्बो = सर्वतः पुरओ = पुरतः जओ = यतः
SR No.023125
Book TitleAao Prakrit Sikhe Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaykastursuri, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2013
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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