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________________ 2 एग एअ - दो } वे ति (त्रि) तीन 8 9 10 दस (द्वि) दो 3 4 चउ (चतुर्) चार • 5 पंच (पञ्चन्) पाँच 6 छ (षष्) छह 7 सत्त सग अट्ठ (अष्टन्) आठ नव (नवन्) नौ } 11 एगारह दह (सप्तम्) सात संख्यावाचक शब्दावली (एक) एक (दशन) दस पाठ (एकादशन) ग्यारह - 25 12 दुवालस बारह बारस 13 तेरह तेरस } 14 चोद्दह चोद्दस चउद्दह चउद्दस 15 पण्णरस २२४ (द्वादशन्) बारह (त्रयोदशन) तेरह ( चतुर्दशन् ) चौदह (पञ्चदशन्) पन्द्रह परह 16 सोलस ) ( षोडशन्) सोलह सोलह 17 सत्तरस (सप्तदशन् ) सत्रह सत्तरह 18 अट्ठारह (अष्टादशन्) अठारह अट्ठारस 1. एग, एअ, एक्क, इक्क शब्दों के रूपों का तीनों लिंगों में उपयोग होता है और उसके रूप 'सव्व' शब्द के समान ही बनते हैं । 2. दो से अट्ठारस पर्यन्त के संख्यावाचक शब्दों के रूप बहुवचन में ही बनते हैं तथा तीनों लिंगों में समान ही बनते हैं । उदा. दुवे, दोणि, दुण्णि, वेण्णि, विण्णि, दो, वे (दो का प्र. बहुवचन) 3. अट्ठारस पर्यन्त के संख्यावाचक शब्दों में षष्टी बहुवचन में ण्ह और हं प्रत्यय लगता है । उदा. सत्तण्ह, सत्तण्हं ( सत्त का षष्टी बहुवचन) आर्ष में 'पंच' का 'पण', 'अट्ठ' का अड, 'अट्ठारह' का 'अट्ठार' भी होता है । उदा. पण जणा = (पाँच मनुष्य), अड बाला = आठ बालिका, अट्ठार अंबा अठारह आम के वृक्ष =
SR No.023125
Book TitleAao Prakrit Sikhe Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaykastursuri, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2013
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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