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________________ x दाव (दर्शय) दिखाना, बताना |x पट्ठव । (प्र + स्थापय्) भेजना, x दंस् |x पठ्ठाव । प्रस्थान करना, x दक्खव प्रारम्भ करना दरिस् x पत्तिआव (प्रति + आयय) विश्वास x दूम् (दू-दावय) दुःख देना, सन्ताप कराना कराना x प्रभाव (प्र + भावय) प्रभावना करनी x नासव ) (नाशय) नाश करना परिचिंत् (परि + चिन्तय) चिन्तन x पलाव / भगाना करना, विचार करना नास् |x पव्वाव (प्र + वाजय्) दीक्षा दिलाना अब्भस् (अभि + अस्) अभ्यास करना, |पसम् (प्र + शमय) शान्ति करनी सीखना |फेड (स्फेटय) विनाश करना अभिनिक्खम् (अभि + निष्क्रम्) संयम बहुमाण (बहुमानय्) सम्मान करना, के लिए घर से निकलना आदर करना उग्घाड (उद् + घटय) खोलना भुंज् (भुज) भोजन करना. निम्माण्) (निर् + मा) बनाना, रचना | रोमन्थ, (रोमन्थय) पगुराना, चबाई निम्म | वग्गोल हुई वस्तु को पुनः चबाना, जुगाली करना x निस्सार । (निर् + सारय्) बाहर |विणास् । (वि + नाशय) विनाश x नीसार । निकलना वेढ करना (वेष्ट) लपेटना पज्जुवास् (परि + उप + आस्) सेवा, परिआल ) भक्ति करनी सिह (स्पृह) चाहना, स्पृहा करना सुह (सुखयू) सुखी करना x इस चिहनवाले धातुओं का प्रेरक में ही उपयोग होता है । हिन्दी में अनुवाद करें 1. पावकम्मं नेव कुज्जा न कारवेज्जा । 2. पाइयकव्वं लोए कस्स हिययं न सुहावेइ । 3. बलवंता पंडिआ य जे के वि नरा संति ते वि महिलाए अंगुलीहिं नच्चाविज्जन्ति । अहं वेज्जोम्हि फेडेमि सीसस्स वेयणं, सुणावेमि बहिरं, अवणोमि तिमिरं, पणासेमि खसरं, उम्मूलेमि वाहिं, पसमेमि सूलं, नासेमि जलोयरं च । निम्म् १९१
SR No.023125
Book TitleAao Prakrit Sikhe Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaykastursuri, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2013
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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