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नपुंसकलिंग कवड (कपट) कपट, माया | तिमिर (तिमिर) आँख का रोग, अज्ञान, कट्ठ (कष्ट) दुःख, पीड़ा. अन्धकार केवल (केवल) केवलज्ञान
पइदिण (प्रतिदिन), प्रतिदिन, रोज खलिअ (स्खलित) अपराध, भूल |पास (पार्थ) समीप, पास में, निकट, गिह (गृह) घर
बाजू में गेह (गेह) घर, मकान
पावकम्म (पापकर्म) पापकर्म चोरिअ (चौर्य) चोरी
बंधण (बन्धन) बंधन जलोयर (जलोदर) जलोदर सरूव (स्वरूप) स्वरूप जावज्जीव । (यावज्जीव) जीवनपर्यंत शरणत्त (शरणत्व) आश्रयपना जाजीव ।
|सिद्धहेम (सिद्धहैम) व्याकरण का नाम
स्त्रीलिंग आराहणा (आराधना) उपासना, सेवना | गइ (गति) आधार, देवादि चार गति कन्नगा (कन्यका) कन्या |पइठा (प्रतिष्ठा) प्रतिष्ठा, कीर्ति, आदर
पुंलिंग + नपुंसकलिंग . खसर (दे. कसर) रोगविशेषः, खाज, | वेडुज्ज ) (वैडूर्य) वैडूर्यरत्न खुजली
| वेडुरिअ देव-व । (दैव) दैव, भाग्य, नसीब, वेरुलिस दइव-व
|सूल (शूल) शूल, शूल का रोग रयण (रत्न) रत्न
विशेषण अण्णमण्ण ) (अन्योन्य) परस्पर कट्ठ (कष्ट) दुःखकारी, दुःख अण्णण्ण
खलिअ (स्खलित) गिरा हुआ, भूला अण्णुण्ण
हुआ अण्णोण्ण )
जोग्ग (योग्य) योग्य, लायक अणज्ज । (अनार्य). अनार्य, आर्य | जत्त (यक्त) उचित, योग्य, मिला हआ अणारिय नहीं है वह
नव (नवन् द्वि. बहुव) नौ संख्या कणि? (कनिष्ठ) लघुभ्राता, लघु, नव (नव) नया सबसे छोटा
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